ये होंगे बदलाव
अब तक नागपुर यूनिवर्सिटी पेट-1 और पेट-2 दो प्रवेश परीक्षा लेता था। पेट-2 में अभ्यर्थियों के पसीने छूट जाते थे। कठिन प्रवेश परीक्षा के कारण अभ्यर्थी दूसरे विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए जाने लगे थे। इस समस्या को देखते हुए पेट-2 परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया है। पेट-1 के प्रारूप में भी कई बड़े बदलाव होंगे। पेट-1 परीक्षा में पहला चरण रिसर्च मैथेडोलॉजी और दूसरा विषय ज्ञान पर आधारित होगा। 50 अंकों के लिए बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे। पूर्व में विश्लेषणात्मक प्रश्न होते थे, जो अब नहीं पूछे जाएंगे।
समयबद्धता पर जोर
पूर्व में रिसर्च पूरी कर शोध प्रबंध जमा करने के बाद अभ्यर्थी का वायवा होने में वर्षों लग जाते थे। नए प्रारूप में इस बात पर जोर दिया गया है कि शोध प्रबंध का मूल्यांकन तय समय सीमा में हो। अभ्यर्थी के शोध प्रबंध जमा करते ही 120 दिनों में उसका मूल्यांकन और वायवा पूरा किया जाएगा। वायवा होने के 15 दिन के बाद उसे पीएचडी नोटिफाई हो जाएगी। यदि इस प्रक्रिया में प्रशासनिक स्तर पर देरी होती है, तो देरी करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है।