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जबलपुर भोपाल फोरलेन के लिए मनमानी कर रहे अधिकारी!

भेड़ाघाट के एक डॉक्टर ने अपने निर्माण को तोडऩे की कार्रवाई को दी हाईकोर्ट में चुनौती, नोटिस जारी
डिजिटल डेस्क जबलपुर । भेड़ाघाट के एक डॉक्टर ने जबलपुर भोपाल फोरलेन के लिए सड़क किनारे मौजूद निर्माण को हटाने की कार्रवाई में अधिकारियों पर मनमानी करने के आरोप लगाए हैं। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 3 फरवरी को होगी।
भेड़ाघाट के डॉक्टर दिलीप अग्रवाल की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि जबलपुर-भोपाल फोरलेन बनाने के लिए पड़े पैमाने पर सड़क किनारे मौजूद मकान व अन्य निर्माण हटाए गए। आवेदक का कहना है कि अधिग्रहण की कार्रवाई से पहले आपत्तियां बुलाईं गईं, जिनमें से अधिकांश खारिज कर दी गईं। एक आपत्ति याचिकाकर्ता की भी थी। याचिकाकर्ता के व्यवसायिक परिसर को आवासीय मानते हुए 20 लाख रुपए का मुआवजा तय किया गया, जिसका भुगतान दो वर्षों तक नहीं किया गया। आवेदक के अनुसार 18 मई 2016 को ऑर्बीट्रेटर ने याचिकाकर्ता के निर्माण को लेकर सक्षम अधिकारियों से रिपोर्ट और पंचनामा पेश करने कहा। शहपुरा के राजस्व निरीक्षक ने 19 नवम्बर 2016 को रिपोर्ट पेश की। इसके बाद सक्षम अधिकारी ने ऑर्बीट्रेटर द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत मप्र सड़क विकास निगम के डिवीजनल मैनेजर आरपी सिंंह को निर्देश दिए। इसके खिलाफ श्री सिंह ने ऑर्बीट्रेटर के समक्ष रिव्यू पिटीशन दाखिल की, जो 26 जुलाई 2017 को खारिज कर दी गई। याचिका में आरोप है कि ऑर्बीट्रेटर द्वारा जारी दिशा निर्देशों की अधिकारी लगातार अव्हेलना कर रहे हैं। इतना ही नहीं मनमानी करते हुए मप्र सड़क विकास निगम के अधिकारियों ने 9 नवम्बर 2019 को पुलिस बल की मौजूदगी में याचिकाकर्ता का व्यवसायिक कॉम्पलेक्स तोड़ दिया गया। इस पूरी कार्रवाई को चुनौती देकर यह याचिका दायर की गई। याचिका में एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, भू अर्जन अधिकारी, डिवीजनल मैनेजर आरपी सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर संतोष शर्मा और मनोरंजन जैना को पक्षकार बनाया गया है।
मामले पर शुक्रवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर पाण्डेय व अमन पाण्डेय पैरवी कर रहे हैं।
Created On :   18 Jan 2020 8:02 AM GMT