डेंगू से हो रही मौत पर सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ पॉजिटिव-निगेटिव के आँकड़े

Only positive-negative figures in official records on dengue deaths
डेंगू से हो रही मौत पर सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ पॉजिटिव-निगेटिव के आँकड़े
डेंगू-मलेरिया से होने वाली हर मौत को अंत में सामान्य मौत बता रहे  डेंगू से हो रही मौत पर सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ पॉजिटिव-निगेटिव के आँकड़े

डिजिटल डेस्क जबलपुर । स्वास्थ्य विभाग जानलेवा डेंगू बुखार को लेकर सालों से फील गुड के माहौल में है। विभाग रस्म अदायगी के तौर पर हर साल 1 जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक मरीजों के पॉजिटिव, निगेटिव के आँकड़े तो कलेक्ट करता है, इसको दर्शाता भी है लेकिन इस बुखार से कितनी जानें गईं यह रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होता है। सालों से डेंगू से मौत का आँकड़ा जीरो पर अटका है। डेंगू की तरह मलेरिया का भी यही हाल है। बुखार पीडि़तों की रक्त पट्टिकाएँ रिकॉर्ड में लाखों लोगों की बनती हैं। मर्ज से संबंधित आँकड़े दर्ज होते हैं पर हर साल भू मध्य रैखिक क्षेत्र की इस जानलेवा बीमारी से संस्कारधानी में कितनी मौतें हो रही हैं यह रिकॉर्ड जीरो पर ही अटका है। एक्सपर्ट के अनुसार हर साल औसतन मलेरिया से शहर में एक दर्जन लोग मरते हैं। कुछ सालों से डेंगू का भी यही हाल है। इससे भी औसतन एक दर्जन से अधिक जानें अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में जाती हैं पर विभाग के रजिस्टर में सब कुछ बेहतर सा नजर आता है। फिलहाल  पिछले एक सप्ताह में ही 3 लोगों ने डेंगू से अलग-अलग अस्पतालों में दम तोड़ा पर मलेरिया विभाग ने एक का भी एलाइजा टेस्ट नहीं कराया। जाँच न कराने का फायदा यह हुआ कि ये मौतें अधिकृत तौर पर दर्ज नहीं हो सकीं। इसके पीछे विभाग ने यह तर्क दे दिया कि पीडि़त की मौत की वजह डेंगू नहीं थी किसी अन्य वजह से जान गई है। मूल आँकड़े सामने न आने को लेकर मलेरिया अधिकारी डॉ. राकेश पहारिया कहते हैं कि हम पूरी सावधानी से अस्पतालों में आने वाले पॉजिटिव-निगेटिव मरीजों पर नजर रखते हैं। उसी हिसाब से रिकॉर्ड तैयार होता है। मौत जितनी होती हैं वो भी दर्ज करते हैं। 
फिर भी रिकॉर्ड हो जाता है तैयार
मलेरिया विभाग खुद कहता है कि कुछ निजी हॉस्पिटल, डेंगू-मलेरिया के मरीजों की पूरी जानकारी उसके साथ शेयर नहीं करते हैं। होने वाली मृत्यु के विषय में नहीं बताते उसके अलावा बीमार के विषय में भी समय पर सूचना नहीं दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग को सालों से यह शिकायत है िक मच्छर जनित रोगों को लेकर नर्सिंग होम्स उतना सहयोगी रवैया नहीं अपनाते हैं, पूरा डेटा नहीं मिल पाता है। इस तरह विभाग को अधूरी जानकारी मिलने पर भी लेकिन साल भर के आँकड़े जरूर तैयार हो जाते हैं। इन आँकड़ों पर ही लोग सालों से सवाल उठा रहे हैं। हॉस्पिटल में एक्सपर्ट भी मलेरिया विभाग की कार्य शैली पर सवाल उठाते हैं।  

Created On :   20 Sept 2021 1:48 PM IST

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