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केंद्रों पर धान खरीदी शुरू तो हुई लेकिन नहीं दे रहे बिल
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जिले के धान उत्पादक किसान इन दिनों परेशान हैं। रबी फसल हाथ में आ जाने के बावजूद किसानों को अब तक यह पता नहीं है कि, शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर उनसे प्रति एकड़ कितना धान खरीदा जाएगा। जिसके कारण किसान अपना धान लेकर बिक्री के लिए खरीदी केंद्रों पर जा रहे हैं, वहां उनसे धान तो लिया जा रहा है, लेकिन धान खरीदी का बिल नहीं बन रहा है। जिसके कारण किसानों में निराशा एवं भ्रम की स्थिति बनी हुई है। किसान अपना धान शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर बिक्री के लिए ले जा रहे हैं, लेकिन बिक्री का बिल नहीं बन रहा है। प्रशासन की नीतियों के चलते किसान इन दिनों कश्मकश में नजर आ रहा है। रबी फसल में किसानों को प्रति एकड़ जमीन पर 15 से 18 क्विंटल धान का उत्पादन होता है, लेकिन खरीदी केंद्रों पर अभी किसानों से कितना धान प्रति एकड़ खरीदा जाएगा यह निश्चित रूप से पता नहीं चला है। किसानों की इस समस्या के प्रति कोई भी जनप्रतिनिधि सामने नहीं आ रहे हैं। जिससे किसान अपना धान केंद्रों के गोदाम पर रामभरोसे देकर आ रहा है। बारिश का समय आ रहा है और किसानों के पास धान रखने के लिए घर में जगह नहीं होने से यह परिस्थिति निर्माण हुई है।
बिल नहीं दिया तो शिकायत करें किसान
शासकीय धान खरीदी केंद्र पर धान बिक्री होते ही किसान धान केंद्रों के संचालक से धान के बिल प्राप्त करें और यदि कोई केंद्र संचालक बिल नहीं दे रहे हैं, तो इसकी शिकायत लिखित रूप से करें। हम तुरंत कार्रवाई करेंगे। केंद्रों को प्रति हेक्टेयर 43 किवंटल धान खरीदी करने के निर्देश दिए गए हैं। अर्थात यह बात स्पष्ट है कि, किसानों से प्रति एकड़ 17 क्विंटल धान खरीदा जाएगा।
- मनोज वाजपेयी, डीएमओ, गोंदिया
अन्नदाता को होगा नुकसान
यदि किसानों का धान 8 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदा गया तो किसानों के पास 50 प्रतिशत धान बच जाएगा। इस बार किसानों को 15 से 18 किवंटल धान का उत्पादन हुआ है। धान नहीं खरीदा गया तो किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएगा।
- राजेश हरिणखेडे, किसान, चारगांव
सस्ते दामों में धान बिक्री के लिए होंगे विवश
धान खरीदी केंद्रों के गोदाम पर इन दिनों किसान 16 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन के हिसाब से धान लेकर जा रहा है। यदि प्रशासन ने इसी दर से धान खरीदी नहीं किया तो किसानों को अपना शेष धान गोदामों से वापस लाकर सस्ते दाम में व्यापारी को मजबूरी में बेचना पड़ेगा। जिससे किसानों को उत्पादन में लगी लागत में भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
- कैलाश दाऊदसरे, किसान, मुरपार
Created On :   3 Jun 2022 6:59 PM IST