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पाकिस्तानी भी कह रहे हम भारतीय, क्योंकि जगह-जगह तिरंगे का सम्मान उन्होंने भी देखा
डिजिटल डेस्क जबलपुर। किसी देश के ध्वज के साथ शायद ही इतनी खासियत जुड़ी होंगी कि हजारों किमी दूर भी उसे भरपूर सम्मान मिले। बेहद मुश्किल हालातों में भी अपनों सा प्यार और भरोसा मिले। तभी तो कदम-कदम पर खतरों से गुजरती हुईं कई जिंदगियाँ एक मुस्कुराहट के साथ घर वापस हो पाई हैं और उन्हीं में से एक है शांतिनगर दमोहनाका निवासी शुभि गुप्ता। तकरीबन एक महीने तक जद्दोजहद के बाद अपने घर लौटी शुभि की दास्तां उन्हीं की जुबानी..।
हम जहाँ जाते, तीन रंगों से पहचाने जाते-
इंडियन एंबेसी से एडवाइजरी जारी की गई कि बॉर्डर की तरफ बढ़ते वक्त अपने वाहनों पर इंडियन फ्लैग लगाए जाएँ। हमने ऐसा ही किया। कई जगह रशियन फोर्सेस मिलीं लेकिन हमें बेरोक-टोक बढऩे दिया गया। खास तौर पर रोमानिया बॉर्डर पर भीषण हालत हैं लेकिन यहाँ हमने कुछ पाकिस्तानी छात्रों को भी यह कहते हुए सुना कि "वी आर ऑल सो इंडियनÓ। ये वही स्टूडेंट्स थे जो तिरंगे की वजह से जगह-जगह मिलने वाली सहूलियतों से वाकिफ थे। हालाँकि बाद में रोमानिया बॉर्डर पर जब उनसे आई कार्ड माँगे गए तो हकीकत खुल गई। ये वो पल थे जिसमें हमें अपने देश पर और भी ज्यादा फक्र महसूस हुआ।
एक महीने से कोशिश, लेकिन नाकाम-
यूक्रेन में इवानो सिटी स्थित फ्रांक्विस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए मैंने एक महीने पहले अपना टिकट बुक करा लिया, लेकिन यूक्रेन फॉरेन मिनिस्ट्री की वजह से देश वापसी मुमकिन नहीं हो सकी। जब तक मदद नहीं मिलती, वहीं रुकने के अलावा हमारे पास और कोई चारा नहीं था। यूक्रेन में आखिरी दिनों तक में शहर की दो अन्य स्टूडेंट इशिता ठाकुर और रिया पाठक के नंबर लगातार ट्राई किए, लेकिन उनसे संपर्क होने में काफी देर हो गई।
मैं लौट आई हूँ माँ-
दिल्ली के बाद शुभि संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से जबलपुर पहुँची। बेटी को देखते ही उनकी माँ सुशीला गुप्ता भावुक हो गईं। आँसू छलकने लगे। बेटी ने यकीन दिलाते हुए कहा, मैं लौट आई हूँ माँ। श्रीमती सुशीला कहती हैं कि सांसद राकेश सिंह के प्रयासों की जितनी सराहना की जाए, कम है। उन्होंने हम सभी से संपर्क बनाए रखा और बेटी को वापस लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। स्टेशन पर भाजपा के पंकज दुबे, पूर्व एमआईसी सदस्य कमलेश अग्रवाल, श्रीराम शुक्ला, मीडिया प्रभारी श्रीकान्त साहू, अर्चना अग्रवाल, सुरेन्द्र शर्मा आदि ने स्वागत किया और फिर निवास तक पहुँचाया।
वतन वापसी का सफर-
- शुभि एक-दो दिनों तक इवानो सिटी में रुकने के बाद 26 फरवरी को ग्रुप के साथ बस में सवार हुईं।
- रोमानिया बॉर्डर के करीब पहुँचने के लिए उन्हें तकरीबन 10-11 घंटों का वक्त लगा। रास्ते में दिक्कतें भी हुईं।
- इसके बाद 15 किमी की दूरी पैदल चलकर ही पूरी करनी पड़ी। पूरे रास्ते में जान पर बनी रही। काफी वक्त भी लगा।
- बॉर्डर पर हालात बेहद खराब मिले। वहाँ पर अलग-अलग देशों के करीब 25 से 30 हजार लोग पहले से खड़े नजर आए।
- सीमा पर कड़ी सख्ती की वजह से 3 से 4 घंटों में बमुश्किल 5-6 लोग ही बॉर्डर क्रॉस कर पा रहे हैं।
- शुभि कहती है कि इससे कहीं ज्यादा परेशानी पोलैंड सीमा पर है। उपद्रव, मारपीट तक की खबरें आ रही थीं।
- सीमा पार कर एयरपोर्ट, फिर दिल्ली पहुँचे, सांसद के प्रयास से मप्र भवन में ठहराया गया, अन्य इंतजाम जुटाए गए।
Created On :   1 March 2022 10:48 PM IST