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चुनाव कराने को लेकर 28 जिप सदस्य पहुंचे हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जि.प. एवं पंस पदाधिकारियों के चुनाव का मामला अब हाईकोर्ट में पहुंच गया है। लगातार कोशिशों के बाद जब कोई नतीजा नहीं निकला तो भाजपा के 26 नवनिर्वाचित जि.प. सदस्यों की ओर से नागपुर हाईकोर्ट में 4 अप्रैल को याचिका दायर कर न्याय की मांग की गई है। गोंदिया जिला परिषद एवं जिले की 8 पंचायत समितियों के आम चुनाव का परिणाम 19 जनवरी को घोषित हो गया था। लेकिन 3 माह का समय बीतने के बावजूद अब तक जि.प. के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं पंचायत समिति के सभापतियों के चुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है। जि.प. अध्यक्ष एवं पंचायत समितियों के सभापति के आरक्षण को लेकर यह मामला लटका हुआ है। चुनाव के पश्चात जिला प्रशासन ने राज्य के ग्राम विकास विभाग से इन आरक्षणों के संबंध में दिशानिर्देश मांगे थे। लेकिन अब तक कोई उत्तर न मिलने से यह चुनाव नहीं हो पाए हैं। जिसके चलते नवनिर्वाचित जिप एवं पंस सदस्य न तो अपने अधिकारों का उपयोग कर पा रहे हैं और न ही अपने क्षेत्र की जनता के कोई काम कर पा रहे हैं। जिसके कारण उन्हें अपने मतदाताओं को उत्तर देना भी मुश्किल हो रहा है। इससे पूर्व भी इस संबंध में प्रशासन को राजनितिक दलों एवं सामाजिक संगठनों की ओर से उक्त चुनाव जल्द कराए जाने से संबंधित निवेदन सौंपे गए। लेकिन जब कोई परिणाम नहीं निकला तो त्रस्त होकर भाजपा के 26 नवनिर्वाचित जि.प. सदस्यों की ओर से नागपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर न्याय की मांग की गई है।
गौरतलब है कि गोंदिया-भंडारा जिला परिषद एवं इनके अंतर्गत आनेवाली पंचायत समितियों के आम चुनाव की अवधि वर्ष 2020 में ही पूरी हो गई थी। लेकिन कोरोना के चलते यह चुनाव टल गए थे। जिसके लगभग 18 माह बाद दिसंबर 2021 एवं जनवरी 2022 में यह चुनाव कराए गए। 19 जनवरी 2022 को चुनाव परिणाम भी घोषित कर दिए गए। जिसके बाद एक माह के भीतर जि.प. अध्यक्ष एवं पंस सभापतियों के चुनाव होने की अपेक्षा थी। लेकिन इसी बीच सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर स्थगनादेश दिया गया था। जिससे जि.प. अध्यक्ष एवं पंस सभापति पदांे का चुनाव पहले निकाले गए आरक्षण के अनुसार किया जाए अथवा नए सिरे से आरक्षण का ड्रा निकाला जाए। इस बात को लेकर पेंच निर्माण होने पर जिला प्रशासन ने ग्राम विकास विभाग से दिशानिर्देश मांगे थे। लेकिन 3 माह की अवधि बीतने के बावजूद अब तक ग्राम विकास विभाग को यह निर्देश देने की फुर्सत नहीं मिल पाई है। वहीं दूसरी ओर इसके कारण नवनिर्वाचित सदस्यों का धैर्य जवाब देने लगा है। इसी से परेशान जि.प. सदस्यों ने अब अपने पदारोहण के लिए न्यायालय की शरण ली है।
नपं के चुनाव हो सकते हैं तो फिर जिप के क्यों नहीं?
संजय टेंभरे, जि.प. सदस्य एवं अध्यक्ष, गोंदिया जिला भाजपा किसान सेल के मुताबिक जिला परिषद एवं पंचायत समिति के साथ ही नगर पंचायतों के चुनाव भी कराए गए थे। चुनाव के बाद नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर वहां नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव करा लिए गए। जब नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के चुनाव कराए जा चुके हैं तो फिर जिला परिषद या पंचायत समितियों के पदाधिकारियों के चुनाव में क्या दिक्कत है? यह समझ से परे है। भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित 26 सदस्यों की ओर से जि.प. अध्यक्ष एवं पं.स. सभापति के चुनाव में हो रही देरी को देखते हुए न्याय की मांग करने हेतु मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में 4 अप्रैल 2022 को याचिका दायर की गई है। जिसका पिटिशन क्रमांक 5473/2022 है। अब न्यायालय से न्याय की अपेक्षा है।
Created On :   8 April 2022 5:47 PM IST