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एसईसीएल का आफटेक ट्रैक भी रहा खराब, असर मप्र के बिजली घरों पर पड़ा
डिजिटल डेस्क जबलपुर । एसईसीएल का प्रोडक्शन के साथ आफटेक ट्रैक खराब होने का बुरा असर प्रदेश के माप बिजली घरों पर भी पड़ा है, जहां मांग का करीब 25 फीसदी कोयला ही स्टॉक में है। मांग और आपूर्ति के बीच अंतर रेनी सीजन से बहुत पहले अप्रैल महीने से आने लगा था जब एसईसीएल ने 2.29 मीट्रिक टन कम कोयला उत्पादित किया। यही नहीं 17.13 मीट्रिक टन के लक्ष्य के विरुद्ध 12.94 मीट्रिक टन कोयला आफटेक यानी डिसपेच किया। इसकी बिगड़ी तस्वीर उमरिया जिले के मंगठार स्थित संजय गांधी ताप विद्युत गृह में दिखी, जहां एक अप्रैल से 28 अक्टूबर तक 995 की मांग के विरुद्ध महज 613 रैक कोयला पहुंचा। अगस्त, सितंबर व अक्टूबर में क्रमश: 68, 54 और 68 कोयले की रैक ही पहुंचीं। अभी भी अधिकतम 5 रैक पहुंच रहे-यदि ये चारों प्लांट अपने फुल लोड 5400 मेगावाट के 85 फीसदी मानक पर चलाए जाएं तो मौजूद कोयला स्टॉक चार-पांच दिन में खत्म हो जाएगा। अभी भी कोयला आपूर्ति की यह स्थिति है कि श्रीसिंगाजी में रोज 4 से 5, संजय गांधी में 3 से 4 और सारणी में कोयले की 2 रैक पहुंच रही है। संजय गांधी तथा सिंगाजी को लेकर यूॅं चिंता ज्यादा है क्योंकि यहां प्रति यूनिट कोयला खपत 650 के बजाय 850 ग्राम तक हो रही है। दावा कुछ भी करें, संकट और गहराएगा: मिश्राएसईसीएल की सेफ्टी बोर्ड के मेंबर आनंद मिश्रा के अनुसार कोयले का संकट आने वाले समय में और बढ़ेगा, क्योंकि नई खदानों के बारे में नीचे से ऊपर तक जल्द फैसले नहीं हो पा रहे हैं। खदानों में कोयला खत्म होने को है। हसदेव तथा जमुना-कोतमा क्षेत्र की करीब आधा दर्जन खदानों में कुछ नहीं बचा है। रामपुरा, आमगांव, जगन्नाथ्पुर जैसी नई खदानों की प्रोग्रेस स्लो है। एसईसील की 10 सहित देश की 135 खदानें बंद करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ठोस कदम नहीं उठाए तो स्थिति और बिगड़ जाएगी।
Created On :   30 Oct 2021 3:45 PM IST