शिवसेना ने मुख्यमंत्री शिंदे सहित 16 बागी विधायकों के निलंबन के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

Shiv Sena approaches Supreme Court for suspension of 16 rebel MLAs including Chief Minister Shinde
शिवसेना ने मुख्यमंत्री शिंदे सहित 16 बागी विधायकों के निलंबन के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
अदालत शिवसेना ने मुख्यमंत्री शिंदे सहित 16 बागी विधायकों के निलंबन के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. एकनाथ शिंदे के गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद शिवसेना शिंदे सहित 16 बागी विधायकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने शुक्रवार को एक आवेदन दायर कर मुख्यमंत्री शिंदे और 15 अन्य विधायकों को उनकी अयोग्यता पर अंतिम निर्णय होने तक सदन से निलंबित करने या उन्हें विधानसभा में प्रवेश या सदन से संबंधित किसी भी कार्यवाही में भाग लेने से रोकने के निर्देश देने की मांग की है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आज सुबह जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए शिवसेना के मुख्य सचेतक प्रभु की याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी चाहिए ताकि संविधान की 10वीं अनुसूची प्रभाव में बनी रहे और उसका उल्लंघन न हो। हालांकि, पीठ ने मामले में तत्काल सुनवाई से इंकार किया और कहा कि पीठ इस पर मुख्य याचिकाओं के साथ इस आवेदन पर 11 जुलाई को विचार करेगी।

सिब्बल ने कहा कि 29 जून के आदेश के बाद एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। कोई विलय नहीं किया गया। किसके व्हिप का पालन किया जाना है? जिस क्षण उन्होंने शपथ ली है उन्होंने 10वीं अनुसूची का उल्लंघन किया है। इसलिए वह पार्टी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कोई तमाशा नहीं है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने वकील को कहा कि अदालत मुद्दे से अवगत है। हमने अपनी आंखे बंद नहीं की हैं। पीठ 11 जुलाई को सूचीबद्ध मामले की सुनवाई करेगी।

गौरतलब है कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पारदीवाला की पीठ ने 27 जून को शिंदे गुट को डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवाल के नोटिस का जवाब देने के लिए समय 12 जुलाई तक बढ़ाकर राहत दी थी। दो दिन बाद राज्यपाल ने तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। हालांकि, राज्यपाल के निर्देश को शिवसेना ने चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 29 जून को इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने अपने इस्तीफे की घोषणा की। गुरुवार को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

नए आवेदन में शिवसेना ने तर्क दिया है कि एकनाथ शिंदे गुट द्वारा किए गए विद्रोह के बावजूद मूल शिवसेना राजनीतिक दल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बना हुआ है। दोषी विधायकों ने भाजपा के मोहरे के रूप में काम किया। चूंकि उन्होंने दल बदल कानून का संवैधानिक उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें एक दिन के लिए भी सदन में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

 

Created On :   1 July 2022 8:57 PM IST

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