शहडोल की मिट्टी से घट रही सल्फर व जिंक की मात्रा - धान के लिए उपयोगी है मिट्टी

The amount of sulfur and zinc decreasing from Shahdols soil - the soil is useful for paddy
शहडोल की मिट्टी से घट रही सल्फर व जिंक की मात्रा - धान के लिए उपयोगी है मिट्टी
शहडोल की मिट्टी से घट रही सल्फर व जिंक की मात्रा - धान के लिए उपयोगी है मिट्टी

डिजिटल डेस्क शहडोल । मिट्टी का महत्व मानव के लिए संजीवनी से कम नहीं, क्योंकि भोजन मिट्टी की बेहतर गुणवत्ता पर ही निर्भर है। कहा भी गया है कि जहां की मिट्टी जितनी उपजाऊ होगी वहां के लोगों का स्वास्थ्य उतना ही उत्तम होगा। लेकिन कम समय और कम लागत में अधिक उपज लेने के चक्कर में असंतुलित उर्वरक और अधाधुंध  कीटनाशकों का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति को क्षीण कर रही है। कुछ सालों के परीक्षण में यह बात सामने आई है कि शहडोल जिले की मिट्टी से सल्फर और जिंक जैसे आवश्यक पोषक तत्वों में कमी आ रही है। इसका कारण है असंतुलित खाद व अन्य चीजों का उपयोग। शहडोल स्थित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में जिले के विभिन्न स्थानों से संग्रहित मिट्टी के परीक्षण में यहां की मिट्टी को सभी प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी पाया गया है, परंतु किसानों में जागरुकता के अभाव से कई पोषण तत्वों में कमी आ रही है। हालांकि इस कमी को अभी चिंताजनक नहीं पाया गया है। 
धान व सोयाबीन बन रहे कारक
जिले में खेती योग्य आधे से ज्यादा रकबा यानि 70 फीसदी क्षेत्रों की मिट्टी बालुईय है, यानि पानी कम समय के लिए ठहरता है। जिनमें उर्वरक अधिक मात्रा में डाला जाता है। जिससे धान एरिया वाले इलाकों में जिंक की मात्रा 25 प्रतिशत कम है। इसी प्रकार जिस एरिया में काली मिट्टी की अधिकता है जो सोहागपुर के कुछ एरिया व ब्यौहारी इलाके में अधिक है और जहां सोयाबीन की फसलें अधिक बोई जाती हैं वहां सल्फर की मात्रा 20 प्रतिशत कम पाई गई है। विशेषज्ञों के अनुसार उपरोक्त कमी को दूर करने के लिए मिट्टी परीक्षण कराकर सलाह के अनुसार उर्वरकों का उपयोग किया जाना चाहिए। वहीं जैविक व गोबर की सड़ी खाद से संतुलन बनाने का कार्य किया जा सकता है।
कैसी है जिले की मिट्टी प्रकृति
मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में
जिले के अलग-अलग स्थानों का परीक्षण समय-समय पर किए गए हैं। जिसके अनुसार मिट्टी में पोटास की मात्रा अधिक पाई गई है। इसकी वजह यह है कि चट्टानों के क्षरण से बनी मिट्टी में इसकी मात्रा स्वत: अधिक होती है। वहीं आर्गेनिक कार्बन कम, फास्फोरस व सल्फर मध्यम, नाइट्रोजन कम है। ब्यौहारी क्षेत्र की मिट्टी अम्लीय व सामान्य है। इसी प्रकार जयसिंहनगर, गोहपारू, बुढ़ार व सोहागपुर क्षेत्र की मिट्टी करीब-करीब समानता वाले हैं। जो सभी फसलों के लिए उपयोगी हैं।
एक लाख नमूने, 4 लाख हेल्थ कार्ड
जिले में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला वर्ष 2005 से शुरु हुई, लेकिन विधिवत संचालन 2010 से हो पाया। अभी तक जिले से करीब एक लाख मिट्टी के नमूने लिए जा चुके हैं। पिछले तीन वर्ष से अभी तक करीब 4 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं। मृदा परीक्षण विशेषज्ञ प्रदीप सिंह राणा ने बताया कि सोयल हेल्थ कार्ड तीन वर्ष तक के लिए जारी होते हैं। वर्तमान में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिले के पांचों विकासखण्डों से 1-1 गांव के सभी किसानों के खेतों से नमूने एकत्रित किए गए हैं। खरीफ फसलों के लिए अभी तक 2494 नमूने लिए गए है। जिनका परीक्षण कर किसानों को सलाह दी गई है।
इम्प्लीमेंट कराना भी जरूरी: सिंह
भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष डॉ. भानुप्रताप सिंह कहते हैं कि मिट्टी परीक्षण किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन इसके लिए परीक्षण के बाद इम्प्लीमेंट कराना जरूरी है। परीक्षण के बाद कार्ड तो जारी कर दिया जाता है लेकिन उसका पालन किस तरह करना है यह कोई नहीं देखता। यह तो वही बात हो गई कि डॉक्टर ने पर्ची लिख दी, दवा किस प्रकार लेनी है यह नहीं बताया। 
स्वास्थ्य से जुड़ी है मिट्टी : मृगेंद्र
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि मिट्टी सीधे मानव के स्वास्थ्य से जुड़ी है। लेकिन होता यह है कि जरूरत से ज्यादा और कम मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी पर उसी प्रकार असर डालता है जैसे हम भूख लगने पर कम और अधिक भोजन कर लें। दोनों का असर नुकसानदेय होता है। इसके लिए मिट्टी परीक्षण के बाद सलाह अनुसार संतुलित फर्टिलाइजर व खाद का उपयोग आवश्यक है।

Created On :   6 Dec 2019 12:42 PM GMT

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