अमानवीयता की हद: कोरोना मरीज को भर्ती करने से किया मना, एम्बुलेंस में निकला दम

The extent of inhumanity: Corona refused to admit patient, ambulance got out
अमानवीयता की हद: कोरोना मरीज को भर्ती करने से किया मना, एम्बुलेंस में निकला दम
अमानवीयता की हद: कोरोना मरीज को भर्ती करने से किया मना, एम्बुलेंस में निकला दम


डिजिटल डेस्क जबलपुर।  मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक इस बात का दंभ भरते हैं कि यहाँ ऐसे मरीजों को भी भर्ती किया जाता है, जिन्हें कहीं भी इलाज नहीं मिलता। यानी सब दरवाजे बंद हो जाएँ, लेकिन यहाँ का दरवाज हमेशा खुला रहता है। ये दावे कितने खोखले हैं, इसकी बानगी शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात देखने मिली, जब एक कोरोना संदिग्ध मरीज को सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में भर्ती करने से मना कर दिया गया। मरीज एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला थीं, जिन्हें तत्काल ही हाईफ्लो ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन अमानवीयता की हद देखिए कि उस वक्त ड्यूटी पर रहे स्टाफ ने परिजनों से पहले कोरोना रिपोर्ट लेकर आने को कहा। जब परिजनों ने सीटी स्कैन की रिपोर्ट दिखाई जिसमें स्पष्ट रूप से कोरोना के लक्षण लिखे हुए थे, तब भी स्टाफ ने मना कर दिया। वक्त गुजर रहा था और मरीज को इलाज की जरूरत थी, लेकिन कुछ ही देर में महिला ने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया। इसके अलावा दो अन्य घटनाएँ और हुईं, जहाँ मरीज को निजी अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया और मरीज की साँसें टूट गईं।
केस-1: कई अस्पतालों में भटके, हिस्से में आई मौत
सतना निवासी अशोक तिवारी ने बताया कि उनकी 70 वर्षीय सासु माँ की तबियत विगत 4 दिन से खराब थी। शुक्रवार को सीटी स्कैन कराने पर फेफड़ों में कोविड-19 संक्रमण रिपोर्ट में आई। इस बीच ऑक्सीजन लेवल भी लगातार गिर रहा था। ऐसे में हॉस्पिटल में भर्ती कराने के लिए जब घर से एम्बुलेंस में लेकर जबलपुर के लिए निकले, तब शैल्बी हॉस्पिटल, मेट्रो हॉस्पिटल, सिटी हॉस्पिटल, सुखसागर अस्पताल समेत अन्य निजी अस्पतालों में बेड नहीं मिले। वक्त बीतता जा रहा था, ऐसे में इस उम्मीद से मेडिकल कॉलेज ले गए कि यहाँ इलाज मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोरोना रिपोर्ट न होने कारण भर्ती करने से मना कर दिया। सीटी स्कैन की रिपोर्ट नहीं देखी और कहा कि कैजुअल्टी से लिखवाकर लाओ। रात के 2:30 बजे चुके थे। इस बीच एम्बुलेंस में ही सासु माँ का देहांत हो गया। परिजनों कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने अगर तत्परता के साथ मरीज को भर्ती कर लिया होता, तो जान नहीं जाती।
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई-
अस्पताल में कभी भी मरीज को भर्ती करने से मना नहीं किया जा सकता, अगर ऐसा हुआ है तो उस वक्त ड्यूटी कर रहे स्टाफ से पूछताछ की जाएगी और जो दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

-डॉ. संजय भारती, कोविड वार्ड नोडल अधिकारी, सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल
केस-2- सीजीएस कार्ड देखते ही किया भर्ती करने से मना
केंद्र सरकार का पेंशनर शहर के कई अस्पतालों में सीजीएचएस कार्ड के जरिए नि:शुल्क इलाज ले सकता है और किसी भी मेडिकल इमरजेंसी में अस्पताल सीएचएस कार्डधारी को भर्ती करने और इलाज करने से मना नहीं सकते, लेकिन शुक्रवार को एक निजी अस्पताल में गंभीर स्थिति में पहुँचे एक मरीज को सीजीएचएस कार्ड देखते ही भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद परिजन जब तक दूसरे अस्पताल लेकर गए, मरीज की जान जा चुकी थी। मृतक के बेटे सोनू विश्वकर्मा ने बताया कि पिता की तबियत खराब होने के बाद उन्हें सिटी हॉस्पिटल लेकर गए, लेकिन सीजीएसएस लाभार्थी होने कारण उन्हें भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद उन्हें जबलपुर हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अगर समय रहते सिटी हॉस्पिटल में ही इलाज मिल जाता, तो मरीज की जान नहीं जाती।
कलेक्टर से शिकायत-
इस घटना को लेकर सिटीजन वैलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष चन्द्रा द्वारा केयर बाय कलेक्टर में भी शिकायत की गई है, जिसमें कहा गया है कि इस समय शहर के सभी हॉस्पिटल सीजीएचएस लाभार्थियों के साथ ऐसा कर रहे हैं अत: जबलपुर के लगभग 90 हजार सीजीएचएस लाभार्थियों के जीवन को सुरक्षित करने के उद्देश्य के साथ उचित कार्रवाई की जाए।
केस-3: अंतत: इन्हें भी नसीब नहीं हो पाया बेड
पिछले सोमवार को मानेगाँव निवासी एक महिला की तबियत खराब होने के बाद जब उनका बेटा उन्हें एक निजी अस्पताल लेकर गया, तब उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया। एक के बाद एक कई निजी अस्पतालों के मना करने के बाद महिला ने दम तोड़ दिया। बेटे अरुण सोनी ने बताया कि माँ की तबियत खराब होने के बाद जब वे उन्हें सिटी हॉस्पिटल, जबलपुर हॉस्पिटल, मार्बल सिटी हॉस्पिटल, मेट्रो हॉस्पिटल आदि लेकर गए, लेकिन सभी ने यह कहकर भर्ती नहीं किया कि अस्पताल में बिस्तर नहीं हैं। कहीं इलाज न मिलने कारण उनकी मृत्यु हो गई।
निजी अस्पतालों में बेड का टोटा-
प्रशासन का दावा है कि शहर में अभी बिस्तारों की कमी नहीं हैं, लेकिन ये दावे उस वक्त खोखले हो जाते हैं, जब परिजन एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहते हैं और बिस्तर नहीं मिलते। प्रशासन द्वारा प्रतिदिन शहर के कोविड अस्पतालों की सूची जारी करने का दावा किया जाता है, लेकिन कलेक्टर जबलपुर के फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर दो दिन से जानकारी अपडेट नहीं की गई है। कोरोना कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को सिर्फ 5 निजी अस्पतालों में 36 बेड खाली थे, जबकि 22 अस्पतालों में आईसीयू बेड नहीं थे।

 

Created On :   11 April 2021 12:41 PM GMT

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