भ्रष्टाचार के आरोपी बैंक अधिकारी को अलग-अलग धाराओं में कुल 49 साल की सजा - भ्रष्टाचारी राष्ट्र को नष्ट करने की प्रवृत्ति रखता है’

The person accused of murder ruins the life, but the corrupt have a tendency to destroy the entire nation
भ्रष्टाचार के आरोपी बैंक अधिकारी को अलग-अलग धाराओं में कुल 49 साल की सजा - भ्रष्टाचारी राष्ट्र को नष्ट करने की प्रवृत्ति रखता है’
भ्रष्टाचार के आरोपी बैंक अधिकारी को अलग-अलग धाराओं में कुल 49 साल की सजा - भ्रष्टाचारी राष्ट्र को नष्ट करने की प्रवृत्ति रखता है’

डिजिटल डेस्क जबलपुर । भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले पर सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा है कि हत्या का आरोपी तो मरने वाले व्यक्ति का जीवन बर्बाद करता है, लेकिन भ्रष्टाचारी तो पूरे देश को बर्बाद करने की प्रवृत्ति रखता है। ऐसे मामलों में यदि नरमी बरती गई तो हर एक लोकसेवक भ्रष्टाचार करके देश को नुकसान पहुँचाते रहेंगे और आम आदमी की गाढ़ी कमाई का उपयोग करते रहेंगे। इन टिप्पणियों के साथ विशेष न्यायाधीश एसके चौबे की अदालत ने इलाहाबाद बैंक राइट टाउन के एक बर्खास्त अधिकारी को अलग-अलग धाराओं में कुल 49 साल की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर कुल 19 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। 
अभियोजन के अनुसार आरोपी सुनील कुमार हंसदा इलाहाबाद बैंक राइट टाउन शाखा में स्केल-1 अधिकारी के पद पर 1  जून 2009 से 4 अगस्त 2012 तक पदस्थ रहा। उस पर आरोप है कि उसने बैंक के अन्य कर्मचारियों की यूजर आईडी और पासवर्ड चुराकर 22 लाख 78 हजार रुपए अपने, अपनी पत्नी, माँ और अन्य फर्मों के नाम पर ट्रांसफर किए। मामले की शिकायत मिलने पर सीबीआई ने जाँच करने के बाद आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत विशेष अदालत में चालान पेश किया था। सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने आरोपी सुनील कुमार हंसदा को दोषी पाते हुए सजा सुनाई। सीबीआई की ओर से लोक अभियोजक विवेक सिन्हा ने पैरवी की।
इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपी सुनील कुमार हंसदा को धारा 409 (तीन शीर्ष) में 10-10 साल (कुल 30 साल), धारा 420 में 5 साल, धारा 477ए में 5 साल, पीसीएक्ट की धारा 13एक डी, 13(2) में 5 साल, धारा 66 सी में दो साल और 66डी में दो साल की सजाएँ सुनाई हैं। कुल सजा 49 साल की होती है, लेकिन विशेष अदालत ने सभी सजाएँ एक साथ चलाने कहा है। कानूनी जानकारों के अनुसार सबसे अधिक सजा 10 साल की है, इसलिए दस वर्ष में सभी सजाएँ पूरी हो जाएँगी। ट्रायल के दौरान आरोपी पाँच साल तक जेल में रहा और यह  अवधि भी सजा में समायोजित होगी।  ऐसे में उसे कुल 5 साल ही सजा भुगतना होगी।  

Created On :   7 March 2020 1:12 PM IST

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