सभी के लिए खुला मैदान जबलपुर में महापौर का पद अनारक्षित

The post of mayor in Jabalpur open to all is unreserved
सभी के लिए खुला मैदान जबलपुर में महापौर का पद अनारक्षित
सभी के लिए खुला मैदान जबलपुर में महापौर का पद अनारक्षित

डिजिटल डेस्क जबलपुर । ठंड के मौसम में जुबान को गर्मी देने के लिए अब नगरीय निकाय चुनावों की सरगर्मी शुरू हो गई है। जैसे ही दोपहर में भोपाल से यह सूचना मिली कि महापौर का पद अनारक्षित हो गया है, वैसे ही दावेदारों के नामों की चर्चा होने लगी। फेसबुक से लेकर वॉट्सएप तक फोटो सहित दर्जनों दावेदारों के नामों पर कयास लगाए जाने लगे। अनारक्षित ऐसा आरक्षण होता है जिसमें किसी भी वर्ग का उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता है। इसमें महिला या पुरुष का भी अंतर नहीं होता है। यह अलग बात है कि अभी तक जितने भी दावेदारों के नाम सामने आए हैं, उनमें महिला प्रत्याशियों की भारी कमी है। खैर आरक्षण की घोषणा के साथ ही यह भी साफ हो गया कि अब नगरीय निकाय चुनाव जल्द ही होंगे और यही कारण है कि बड़े नेताओं के घरों से लेकर दफ्तरों तक में सरगर्मी तेज हो गई है। नगर निगम में पिछले 15 सालों से भाजपा का कब्जा है, सुशीला सिंह, प्रभात साहू और फिर डॉ. श्रीमती स्वाती सदानन्द गोडबोले। कांग्रेस से अंतिम  महापौर स्व. विश्वनाथ दुबे थे। आरक्षण के पहले से ही महापौर पद के कई दावेदार वरिष्ठ नेताओं के साथ ही जनता के समक्ष भी दावेदारी ठोंक चुके हैं। अब सवाल तो यह उठता है कि दोनों ही प्रमुख पार्टियाँ किसे अपना प्रत्याशी बनाती हैं। कई पूर्व पार्षद, संगठन के वरिष्ठ नेता और छात्रनेता भी खुद को महापौर पद के लिए सबसे अच्छा प्रत्याशी साबित करने में जुटे हैं। महापौर पद अनारक्षित होने के बाद कई दिनों से जो कयास लगाए जा रहे थे उसका पटाक्षेप हो गया है और उम्मीदवार अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।
प्रतियोगिता कठिन
दोपहर में आरक्षण के बाद नेताओं का यही कहना था कि अब कॉम्पटीशन बढ़ गया है। अनारक्षित पद के चलते अब ऐसे -ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जिनकी पहले कोई चर्चा ही नहीं थी। खुद को शहर का अगला महापौर मान चुके कुछ नेताओं के लिए तो यह स्थिति बेहद विकट हो गई है। 
शहर विकास के लिए जरूरी है महापौर
 करीब एक साल ही होने को आ रहे हैं कि निगम में प्रशासक राज लागू है। ऐसे में शहर की अनेक विकास योजनाओं को गति नहीं मिल पा रही है। महापौर के रहने से अधिकारियों पर भी लगाम कसी रहती है और महापौर किसी भी समस्या के लिए सीधे मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों से चर्चा कर मदद प्राप्त कर लेते हैं। फरवरी 2019 में प्रशासक राज लागू हुआ था, जिसके बाद कोरोना काल शुरू हो गया, तब से शहर के विकास की गति थम चुकी है।

Created On :   10 Dec 2020 8:20 AM GMT

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