कोरोना से हुई मृत्यु को प्रमाणित करना यानी आसमान से तारे तोडऩा

To prove the death of corona means to break the stars from the sky
कोरोना से हुई मृत्यु को प्रमाणित करना यानी आसमान से तारे तोडऩा
कोरोना से हुई मृत्यु को प्रमाणित करना यानी आसमान से तारे तोडऩा

मृत्यु प्रमाण-पत्र में मौत का कारण दर्ज नहीं होता जिन्हें भर्ती होने अस्पतालों में बेड ही नहीं मिला वे तो और भी मुसीबत में, शासन ने आज तक इस समस्या को दूर करने कोई पहल नहीं की
डिजिटल डेस्क जबलपुर । को
रोना की बीमारी से मरने वालों के लिए राज्य शासन ने कई योजनाएँ लागू की हैं, मुआवजे से लेकर बच्चों की मुफ्त शिक्षा और मानदेय तक की बात की गई लेकिन शासन ने कोरोना से हुई मृत्यु को प्रमाणित करने का कोई सीधा और सरल रास्ता तय नहीं किया है। यही कारण है कि वे परिजन खून के आँसू रो रहे हैं जिनके मुखिया या किसी अन्य का निधन कोरोना बीमारी के चलते हुआ है। शासन का ही नियम है कि मृत्यु प्रमाण-पत्र में मृत्यु का कारण नहीं लिखा जाए तो फिर यह साबित कैसे होगा और लोगों को मदद कैसे मिलेगी। इस संबंध में अभी तक कोई विस्तृत गाइडलाइन ही नहीं बनाई गई है। नगर निगम के साथ ही अस्पतालों से भी मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी किए जा रहे हैं लेकिन उनमें कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं होता है कि मृत्यु का कारण क्या था। इन दिनों नगर निगम में सुबह से शाम तक दर्जनों लोग भटकते नजर आते हैं। इनमें बहुत से तो वे लोग होते हैं जिनको मृत्यु प्रमाण-पत्र तो मिल गया लेकिन उनमें मौत का कारण दर्ज नहीं है तो वे ये माँग करते हैं कि निगम मौत का कारण प्रमाण-पत्र में लिखकर दे। इस मामले में निगम के कर्मचारियों का कहना होता है कि जब प्रमाण-पत्र में ऐसा कोई कॉलम ही नहीं है तो वे कैसे लिख दें। इसके अलावा बहुत बड़ी संख्या उन लोगों की होती है जो प्रमाण-पत्र बनवाने में देरी कर देते हैं।
केवल 3 माह में 517 लोगों की कोरोना से हुई मौत
नगर निगम से मिले आँकड़ों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के पहले तीन माह में ही करीब 517 लोगों की मृत्यु कोरोना से हुई थी। मार्च माह में सबसे कम केवल 9 लोगों की मृत्यु कोरोना से हुई थी। वहीं अप्रैल माह में 293 लोग कोरोना से मारे गए और मई माह में यह संख्या 215 रही। वहीं इसी दौरान सामान्य मौतों के मामले में मार्च में 773, अप्रैल में 1109 और मई माह में 1423 लोगों की मृत्यु सामान्य कारणों से हुई थी।
30 दिनों के अंदर बनवा लें प्रमाण-पत्र 
मृत्यु हो या जन्म प्रमाण-पत्र इसमें भटकाव का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि लोग नियमों से अनजान हैं। शासन के नियम हैं कि जन्म हो या मृत्यु उसके 21 दिनों के अंदर प्रमाण-पत्र बनवा लेना चाहिए और यदि ऐसा नहीं किया गया तो 30 दिनों तक निगम लेट फीस के साथ प्रमाण-पत्र बना कर जारी कर देता है लेकिन यदि 30 दिनों बाद कोई प्रमाण-पत्र बनवाने जाता है तो उससे तहसीलदार की अनुमति माँगी जाती है, जिसके लिए शपथ-पत्र देना होता है। इस कार्य में भटकाव ज्यादा हो जाता है और लोग आरोप लगाते हैं कि प्रमाण-पत्र नहीं बन रहे हैं। 
जब कोरोना लिखा ही नहीं तो प्रमाण कैसा
रामपुर निवासी श्रीकांत सोनी का कहना है कि उनके पिता की मृत्यु कोरोना से हुई थी लेकिन मृत्यु प्रमाण-पत्र में मृत्यु का कारण ही नहीं लिखा है, इस प्रमाण-पत्र का फायदा ही क्या। शासन ने लाभ देने की घोषणा तो कर दी है लेकिन हम प्रमाणित कैसे करें यह सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए शासन को आगे आकर नियम बनाने होंगे।
इनका कहना है
शासन के बनाए नियमों के तहत ही कार्य किया जा रहा है। निगम द्वारा जारी प्रमाण-पत्र में मृत्यु का कारण लिखने का केाई कॉलम नहीं होता है इसलिए उसमें नहीं लिखा जा सकता कि कैसे मृत्यु हुई। समय पर लोग कार्यालय पहुँचते हैं तो दो-तीन दिनों के अंदर प्रमाण-पत्र दे दिए जाते हैं। 
-भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम
 

Created On :   14 July 2021 9:15 AM GMT

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