गोंदिया में गाय के गोबर से बन रहे पारंपरिक दीपक और रंगोली

Traditional lamps and rangoli made from cow dung in Gondia
गोंदिया में गाय के गोबर से बन रहे पारंपरिक दीपक और रंगोली
गोंदिया में गाय के गोबर से बन रहे पारंपरिक दीपक और रंगोली

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। लॉकडाउन के दौरान अनेक व्यवसाय ठप पड़ गए, कई लोग बेरोजगार हो गए लेकिन जिले में गांव की मिट्टी से जुड़ी उच्च शिक्षित महिला ने एक ऐसा रोजगार खोज निकाला। जो देश की संस्कृति को विस्तार देने के साथ ही कई परिवारों के जीवकोपार्जन का साधन भी बन गया है। ग्राम चुटिया निवासी प्रीति ऋषि टेंभरे ने गाय के गोबर से दीपक और रंगोली बनाने का गुर सिखाकर अनेक महिलाओं के लिए संपन्नता के द्वार खोले हैं। गोंदिया तहसील अंतर्गत ग्राम चुटिया निवासी प्रीति टेंभरे चुटिया में निर्मित रंगोली और दीयों को दीपोत्सव में देश के कोने-कोने तक पहुंचाने का इरादा रखती हैं। प्रीति टेंभरे ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के मार्गदर्शन में यह पहल की है। उच्च शिक्षित होते हुए भी प्रीति ने अपने पति की गौशाला में काम करते हुए क्षेत्र की महिलाओं को गोबर से दीपक, रंगोली और मूर्तियां बनाने का प्रशिक्षण दिया। अब यही प्रशिक्षित महिलाएं गाय के गोबर से आकर्षक दीपक और रंगोली बना रही हैं। गोबर में गोंद, विशेष वृक्ष की छाल, एलोविरा, मेथी के बीज, इमली के बीज आदि काे मिलाकर इसे सांचे में ढालकर आकर्षक दीपक का रूप दिया जाता है। पहले चरण में इस सामग्री को दिल्ली, गुजरात के जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद, मध्यप्रदेश के रतलाम तथा महाराष्ट्र के मुंबई, औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर एवं अन्य प्रमुख शहरों में भिजवाया जा रहा है। इन शहरों से 14 हजार दीपों के आर्डर आ चुके हैं।  

सकारात्मक ऊर्जा मिलती है

प्रीति टेंभरे, प्रकल्प संचालक, लक्ष्मी गौशाला के मुताबिक गौमाता हम सबके लिए वरदान है। गौमाता के दूध के अलावा गौमूत्र व गोबर का इस्तेमाल अनेक रोगों को खत्म करने के लिए किया जाता रहा है। इसीलिए गाय को हमारी संस्कृति में मां का स्थान दिया गया है। गाय के गोबर से इको फ्रेंडली दीपक और रंगोली का निर्माण हमें रोजगार के अलावा सकारात्मक ऊर्जा भी दे रहा है। इससे पूर्व हमने गोबर से राखी बनाई थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया।  
    

Created On :   12 Oct 2020 9:06 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story