- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- गोंदिया
- /
- आदिवासी विद्यार्थी नहीं बन रहे...
आदिवासी विद्यार्थी नहीं बन रहे संशोधक
डिजिटल डेस्क, गोंदिया.ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां आदिवासी विद्यार्थी अपना हुनर न दिखा रहे हो। अनेक विद्यार्थी पीएचडी अर्थात संशोधक बनने के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन आर्थिक परिस्थिति से कमजोर होने से वे संशोधक नहीं बन पा रहे हैं। आदिवासी विद्यार्थी संगठनों ने मांग की है कि, पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था की ओर से विशेष रूप से निधि उपलब्ध कर अधिछात्रवृत्ति के रूप में दी जाए। शिक्षा के क्षेत्र में आदिवासी समाज को पिछड़ा कहा जाता है, लेकिन अब यही समाज शिक्षा के क्षेत्र में जागृत होकर हर क्षेत्र में आदिवासी समाज के विद्यार्थी हुनर दिखा रहे हैं। अब विद्यार्थी संशोधक बनने के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन आर्थिक कमजोरी उनके संशोधन के लिए गंभीर समस्या बन गई है। इस संदर्भ में जानकारी दी गई कि, डा. बाबासाहब आंबेडकर संशोधन व प्रशिक्षण संस्था द्वारा डा. बाबासाहब आंबेडकर नेशनल रिसर्च फिलोशिप शुरू की गई। 2013 में छत्रपति शाहू महाराज संशोधन व प्रशिक्षण संस्था अर्थात सारथी शुरू की गई। इन संस्थाओं के माध्यम से मराठा, कुनबी वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छत्रपति शाहू महाराज राष्ट्रीय संशोधन अधिछात्रावृत्ति शुरू की गई है।
वहीं 2019 से महात्मा ज्योतिबा फुले संशोधन प्रशिक्षण संस्था अर्थात महाज्योति के माध्यम से ओबीसी, वीजेएनटी व एसबीसी विद्यार्थियों के लिए अधिछात्रावृत्ति दी जा रही है, लेकिन आदिवासी विद्यार्थियों के लिए इस तरह की निधि या सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिस कारण आदिवासी विद्यार्थी होनहार होकर भी संशोधक नहीं बन पा रहे हैं। इसलिए उपरोक्त संस्थाओं की तर्ज पर आदिवासी विद्यार्थियों के लिए भी आदिवासी आयुक्त विभाग की ओर से अधिछात्रावृत्ति प्रदान कर आदिवासी विद्यार्थियों को संशोधक बनाने में प्रयास करें। इस तरह की मांग आदिवासी विद्यार्थी संगठनों ने की है।
अधिछात्रवृत्ति लागू की जाए
मुकेश नेताम, विदर्भ अध्यक्ष, आदिवासी विद्यार्थी संगठन के मुताबिक जिस तरह से मराठा, कुनबी, ओबीसी तथा अन्य वर्ग के विद्यार्थियों को संशोधक बनने के िलए अधिछात्रवृत्ति का लाभ दिया जा रहा है। इसी तर्ज पर आदिवासी विभाग ने भी अधिछात्रवृत्ति लागू कर आदिवासी विद्यार्थियों को संशोधक बनाने में मदद करें। इस तरह की मांग आदिवासी विद्यार्थी संगठनों की ओर से पिछले कई माह से की जा रही है। इस संदर्भ में आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था पुणे आयुक्त की ओर से प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। इस तरह की जानकारी आदिवासी आयुक्त विभाग की ओर से दी गई है।
Created On :   11 April 2022 7:05 PM IST