गुस्से में बोले गए बिना आशय के शब्द आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

Words spoken without anger do not provoke suicide
गुस्से में बोले गए बिना आशय के शब्द आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं
गुस्से में बोले गए बिना आशय के शब्द आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट की जस्टिस अंजुली पालो की एकलपीठ ने एक अहम फैसले में कहा है कि गुस्से में बोले गए बिना आशय के शब्द आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता है। यदि मृतक को ब्लैकमेल किया जा रहा था तो उसे पुलिस में शिकायत करनी थी। इस अभिमत के साथ एकलपीठ ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला निरस्त कर दिया है। यह याचिका बरगी जबलपुर निवासी कमरूनिशा की ओर से दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 306 का प्रकरण दर्ज किया है। अधिवक्ता सुशील कुमार तिवारी और असीम त्रिवेदी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की एक युवक से जान-पहचान थी। युवक ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया कि वह मृतक के घर जबरन घुस आई थी और उसे शादी के लिए ब्लैकमेल कर रही थी। याचिकाकर्ता ने धमकी दी थी कि यदि युवक ने उससे शादी नहीं की तो वह उसके पूरे परिवार को फँसा देगी। इससे परेशान होकर युवक ने आत्महत्या कर ली। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला निरस्त कर दिया। 
 

Created On :   17 March 2021 8:41 AM GMT

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