Panna News: उपेक्षित विरासत-गौर का चौपड़ा धार्मिक स्थल, सुविधा विहीन मार्ग से श्रद्धालुओं को भारी परेशानी

उपेक्षित विरासत-गौर का चौपड़ा धार्मिक स्थल, सुविधा विहीन मार्ग से श्रद्धालुओं को भारी परेशानी

Panna News: जिला मुख्यालय की इंद्रपुरी कॉलोनी में स्थित गौर का चौपड़ा एक प्राचीन और अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह स्थान न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि अपने भीतर एक समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत समेटे हुए है। यहाँ पर पंचमुखी हनुमान जी, भगवान शंकर जी और नौ देवियों के मंदिर स्थापित हैं जो इसे भक्तों के लिए एक पूजनीय तीर्थ बनाते हैं। खासकर नवरात्रि के पावन पर्व पर सैकड़ों की तादाद में महिलाएँ और पुरुष दूर-दूर से यहाँ पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इसके बावजूद वर्षों से यह पवित्र स्थल सरकारी उपेक्षा का शिकार है जिसकी सबसे बड़ी मार यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को भुगतनी पड़ रही है।

खस्ताहाल कच्चा मार्ग, आस्था की राह में रोड़ा

गौर का चौपड़ा तक पहुंचने का सफर ही श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ी परीक्षा बन गया है। बायपास से मंदिर तक जाने वाला रास्ता पूरी तरह से ऊबड-खाबड़, पथरीला और कच्चा मार्ग है। इस मार्ग पर पैदल चलना भी किसी चुनौती से कम नहीं है खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए। बारिश के दिनों में यह रास्ता कीचड़ और फिसलन से भर जाता है जबकि सामान्य दिनों में धूल और पत्थरों के कारण वाहनों का निकलना दूभर हो जाता है। श्रद्धालुओं ने कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस कच्चे मार्ग को पक्का कराने की गुहार लगाई है लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है। नवरात्रि जैसे प्रमुख धार्मिक आयोजनों पर जब यहाँ भक्तों का सैलाब उमड़ता है तब मार्ग की दुर्दशा के कारण दुर्घटना का भय बना रहता है और श्रद्धालुओं को घंटों जाम एवं असुविधा का सामना करना पड़ता है।

ऐतिहासिक जल कुंड, उपेक्षित होने के बावजूद बना है जीवनरेखा

गौर के चौपड़ा की महत्ता सिर्फ मंदिरों तक सीमित नहीं है। यहाँ एक प्राचीन पानी का कुंड भी मौजूद है जो इस क्षेत्र की एक अनूठी पहचान है। आश्चर्यजनक रूप से यह कुंड गर्मियों के भीषण दिनों में भी पानी से भरा रहता है। यह कुंड न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जल उपलब्ध कराता है बल्कि आसपास के स्थानीय निवासियों के लिए एक बहुत बड़ा सहारा भी है। यह कुंड प्राचीन जल संचयन प्रणाली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो दर्शाता है कि हमारे पूर्वज जल संरक्षण के प्रति कितने सजग थे।

विकास की अनदेखी, कब मिलेगी धार्मिक स्थल को पहचान

यह विडंबना ही है कि जिला मुख्यालय के इतने करीब स्थित और जन-आस्था का इतना बड़ा केंद्र होने के बावजूद, गौर का चौपड़ा बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की सरकारी योजनाओं और दावों के बीचए इस प्राचीन स्थल की दुर्दशा कई सवाल खड़े करती है। स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं का कहना है कि यदि प्रशासन इस स्थान को गंभीरता से लेता हैए तो पक्का मार्ग, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, विश्राम स्थल और कुंड का जीर्णोद्धार जैसे कार्य प्राथमिकता से कराए जा सकते हैं। उनका मत है कि यह सिर्फ विकास का मामला नहीं, बल्कि लोगों की आस्था और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण का मामला है।

जिला प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल इस प्राचीन धार्मिक स्थल की दशा और दिशा बदलने के लिए ठोस कदम उठाए। मार्ग को पक्का बनाने के लिए विशेष बजट आवंटित किया जाए और कुंड के साफ.-सफाई एवं संरक्षण के लिए योजना तैयार की जाए ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपने आराध्यों के दर्शन कर सकें और यह उपेक्षित विरासत अपनी खोई हुई चमक वापस पा सके। इस धार्मिक स्थल का समुचित विकास न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा देगाए बल्कि क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

Created On :   28 Sept 2025 12:51 PM IST

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