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Panna News: पचास वर्ष से भी पुराना है रैपुरा के रामलीला के मंचन का इतिहास, निर्देशक, कोरियोग्राफर से लेकर अभिनेता तक गांव की ही पूरी टीम

Panna News: रैपुरा के रामलीला के मंचन का इतिहास पचास वर्ष से भी अधिक पुराना है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि वर्ष १९७० के लगभग रामलीला का मंचन होता रहा है। उस समय गांव की रामलीला की समिति के अध्यक्ष शंभू प्रसाद अग्रवाल मोदी ने मंच बनवाने से लेकर उस समय पेट्रोल जनरेटर से बिजली की व्यवस्था करते थे। लोग बताते हैं मंच पर झाड़ू लगाने से लेकर बड़े आयोजन तक संभालते थे। स्वर्गीय शंभू प्रसाद अग्रवाल रामलीला मंडल के अध्यक हुआ करते थे तब लक्ष्मीनारायण खरे निर्देशन करते थे। शंभू प्रसाद के बड़े बेटे अरुण कुमार अग्रवाल बताते हैं उस समय पिता जी के रामलीला मंडल में 65 सदस्य हुआ करते थे। वर्ष 1975 के समय बिजली नहीं थी तब पिता जी जनरेटर खरीद कर लाए थे जिससे रात में रामलीला के लिए उजाला हुआ करता फिर रामलीला होती।
इससे पहले गैस स्टोव की लाइट से उजाला कर रामलीला होती। बताते हैं पहले रामलाल झंडा बाजार के पास हुआ करती थी फिर 1990 में देहांत के बाद दो से दस वर्ष रामलीला बंद हो गई। वर्ष 2000 के लगभग से दस साल रामलीला के अध्यक्ष और वर्तमान में भी रामलीला मंडल के अध्यक्ष विजय मोदी बताते हैं कि रामलीला मंचन के लिए मथुरा से साज सज्जा का नया सामान आया फिर कलाकारों को जोड़ा गया। विजय बताते हैं कि पचास वर्ष के इतिहास में हमेशा निर्देशक, कोरियोग्राफर से लेकर कलाकार एवं व्यास तक रैपुरा क्षेत्र के ही होते रहे हैं। वह पुराने समय को याद करते हुए बताते हैं कि उस समय इंटरनेट का जमाना नहीं था तो हजारों को भीड़ रामलीला देखने जुड़ती थी।
अभिनय में सबको चकित करती बच्चों की कलाकारी
लोग कहते हैं कि इस बार बच्चे अभिनय में जो जोश और काबिलियत दिखा रहे हैं वह वाकई उत्साहवर्धन करने वाला है। इस वजह से भी लोग अपने आप रामलीला का मंचन देखने चले आते हैं। आयोजक कहते है कि बच्चों के माता पिता का सहयोग और उनके संस्कार और बच्चों की मेहनत बच्चों की रंगमंच पर अलग ही अभिनय को निखारती नजर आती हैं।
Created On :   28 Sept 2025 12:53 PM IST