Pune News: येरवड़ा अस्पताल में छह तरह के मानसिक रोगी

येरवड़ा अस्पताल में छह तरह के मानसिक रोगी

    भास्कर न्यूज, पुणे। येरवड़ा स्थित राज्य के सबसे बड़े मानसिक अस्पताल में फिलहाल में लगभग 1000 मरीज हैं। वहां छह प्रकार के मानसिक रोगी हैं, जिनमें स्किजोफ्रेनिया, मूड डिसऑर्डर, बायपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन, अल्कोहल सिंड्रोम और अन्य प्रकार के मरीज शामिल हैं। अस्पताल में सबसे ज्यादा स्किजोफ्रेनिया के मरीज हैं। इससे ग्रसित करीब 50 प्रतिशत मरीज हैं। इस बीमारी - में मरीजों को ऐसी चीजें दिखती या महसूस होती हैं जो वास्तव में नहीं होतीं।

    एक मरीज ने इसी कारण पटवारी दोस्त की हत्या कर दी क्योंकि उसे लगने लगा था कि वह उसे नुकसान पहुंचा सकता है। अस्पताल में मरीजों का पूरा ख्याल रखा जाता है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि रिश्तेदारों को भी घर पर उतनी ही देखभाल करना चाहिए जैसे समय पर दवा, पौष्टिक भोजन देना, व्यायाम करवाना और मानसिक तनाव से दूर रखना। येरवड़ा अस्पताल के अधीक्षक श्रीनिवास कोलोड़ ने बताया कि ऐसा करने से मरीज सामान्य जीवन की ओर लौट सकता है।

    अस्पताल में मानसिक रोगियों की स्थिति

    -अस्पताल में साइकोसिस से ग्रस्त 20% मरीज हैं। इस रोग में व्यक्ति को समझ नहीं आता कि क्या सही है और क्या गलत। वह कुछ भी खा सकता है या कर सकता है, इसलिए उस पर निगरानी रखना जरूरी होता है।

    -बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों की संख्या 10% है। इस बीमारी में मरीज का मूड अचानक बदलता है। कभी वह बहुत खुश तो कभी अचानक गुस्से में या उदास हो जाता है।

    -डिप्रेशन से ग्रस्त मरीजों की संख्या लगभग 12% है, जिनमें ज्यादातर संख्या युवाओं की है। मोबाइल फोन और सोशल मीडिया की लत के कारण वे डिप्रेशन में जा रहे हैं। वहीं कुछ मरीज प्यार के कारण भी अवसाद में हैं।

    -लगभग आठ प्रतिशत मरीज शराब, गांजा, ड्रग्स आदि नशे की लत के कारण अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हैं। नशा छोड़ने में उन्हें काफी मुश्किल हो रही है। नशे से दूर रहने के कारण उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई है।

    अस्पताल में बढ़ाई सुरक्षा

    कुछ दिन पहले येरवड़ा अस्पताल से चार मरीज भाग गए थे, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे थे। अब प्रशासन ने वहां 123 सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया है, साथ ही 53 अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड भी तैनात किए जा रहे हैं।

    मरीजों के लिए विविध गतिविधियां

    -अस्पताल में मरीजों को ठीक करने के लिए कई रचनात्मक गतिविधियां रखी जाती हैं, जैसे इं पेपर फाइल बनाना, पेंटिंग, क आकाश कंदील (दिवाली लैप) 2 बनाना, सिलाई, बैग बनाना, ब्यूटी पार्लर ट्रेनिंग आदि। इन गतिविधियों से मरीजों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं।

    -मरीजों को घर पहुंचाने की सुविधा

    -अब जिला कोर्ट के आदेशानुसार हर शनिवार येरवडा अस्पताल की एंबुलेंस से मरीजों को उनके घर पहुंचाया जा रहा है। अब तक 70 से 80 मरीजों को घर भेजा जा चुका है।

    Created On :   27 Oct 2025 3:54 PM IST

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