कश्मीर में ईद पर खरीदारी फीकी

कश्मीर में ईद पर खरीदारी फीकी

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। देश में गुरुवार को ईद उल-अज़हा का त्योहार है। त्योहार के मद्देनजर कुर्बानी वाले जानवरों के बाजारों और बेकरी की दुकानों पर बुधवार को खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही है, लेकिन इस साल कश्मीर में ईद की पूर्व संध्या पर खरीदारी फीकी देखी जा रही है। ईद-उल-अजहा या बकर ईद के त्योहर को दुनियाभर के मुसलमान मनाते हैं। राजस्थान सहित देश के विभिन्न हिस्सों से कुर्बानी के जानवरों को बिक्री के लिए यहां लाया गया है, लेकिन खरीदार बहुत कम हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि विक्रेता जानवरों की कीमतें ज्यादा रखते हैं जो सही नहीं है।

एक खरीदार जो भेड़ खरीदने के लिए बाजरों में गया था, उसने कहा कि कीमतों में समानता नहीं है। विक्रेताओं द्वारा जिंदा पशुओं के लिए 350 प्रति किलोग्राम से लेकर 650 प्रति किलोग्राम तक के हिसाब से रुपये मांगे जा रहे हैं। स्थानीय मटन डीलरों का कहना है कि कुर्बानी के जानवरों की दरें विक्रेता और खरीदार के बीच एक समझौता है। सरकार ने पहले ही यूटी में मटन और पोल्ट्री की दरों को विनियमित करना बंद कर दिया है। इसने एक ऐसा बाज़ार तैयार किया है जिसे अपनी स्थिरता खुद ढूंढनी होगी।

बेकरी की दुकानों पर भी भीड़ उमड़ रही है, लेकिन लोगों की खरीदारी क्षमता ने विक्रेताओं के लिए अप्रत्याशित लाभ की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। एक स्थानीय अर्थशास्त्री ने इस ईद पर कश्मीर में कम खरीदारी का कारण बताया है। उनका कहना है कि ऑनलाइन शॉपिंग, मंदी, हाल के वर्षों के दौरान हस्तशिल्प और बागवानी को झटका, इस साल ईद की खरीदारी कम होने का मुख्य कारण है। अर्थशास्त्री से पूछा गया कि पिछले दो वर्षों में कश्मीर में पर्यटन में जो तेजी देखी गई है, उसके चलते अधिक धन का प्रचलन क्यों नहीं हुआ। इस पर उन्होंने कहा, "यह एक आम गलत धारणा है कि पर्यटन कश्मीर में नंबर एक आर्थिक गतिविधि है।"

अर्थशास्त्री ने कहा कि हमारे पास 10,000 करोड़ रुपये का बागवानी उद्योग है, जो सबसे ज्यादा पैसा कमाता है और पिछले दो वर्षों के दौरान बागवानी को गंभीर झटका लगा है। पर्यटन की कमाई होटल व्यवसायियों, टूर और ट्रैवल ऑपरेटरों और हाउसबोट और शिकारा मालिकों द्वारा की जाती है। ये कश्मीर समाज का एक बहुत छोटा अल्पसंख्यक हिस्सा है। अर्थशास्त्री ने कहा कि हस्तशिल्प हमारी अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख धन संवाहक हुआ करता था, लेकिन कालीन, शॉल, पेपर-मैचे और लकड़ी की नक्काशी वाली वस्तुएं पर्यटकों द्वारा इतनी मात्रा में नहीं खरीदी जाती हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर बेहतर संचलन उत्पन्न हो सके।

आर्थिक तंगी के काले बादलों के बीच एक उम्मीद की किरण यह है कि स्थानीय लोग दान के लिए उदारतापूर्वक दान कर रहे हैं। ईद का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि यदि किसी का पड़ोसी संकट में हो तो उसे आराम से नहीं सोना चाहिए। एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी गुलाम नबी ने कहा कि अल्लाह का शुक्र है, हमारे समाज के सबसे गरीब लोगों में कोई भूखा नहीं है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   28 Jun 2023 10:21 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story