नर्मदा जयंती 2024: जानें इस दिन का महत्व, स्नान मात्र से धुल जाते हैं हर तरह के पाप

जानें इस दिन का महत्व, स्नान मात्र से धुल जाते हैं हर तरह के पाप
  • मां नर्मदा को रेवा के नाम से भी जाना जाता है
  • इस नदी के किनारे पर तपस्वी तपस्या करते हैं
  • आस्था की डुबकी लगाने के साथ करते हैं आरती

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचाग के अनुसार, हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti) मनाई जाती है। धार्मिक मान्यतानुसार, मां नर्मदा का जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ था। इस दिन को मां नर्मदा के जन्मस्थान कहे जाने वाले अमरकंटक से लेकर गुजरात में खंबात की खाड़ी तक नर्मदा किनारे स्थित शहरों में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष नर्मदा जयंती 16 फरवरी 2024, शुक्रवार को मनाई जा रही है।

मां नर्मदा को रेवा भी कहा जाता है। मां नर्मदा की पवित्रता की वजह से इसके किनारे पर तपस्वी तपस्या भी करते हैं। माना जाता है कि, नर्मदा नदी के तट पर साधना करते हुए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने सिद्धियां प्राप्त की थी। बता दें कि, नर्मदा अथाह जल के साथ अमरकंटक से निकलती है और खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिलती है। आइए जानते हैं नर्मदा जयंती के महत्व और पूजा विधि...

क्या है महत्व

नर्मदा नदी को देश की पवित्रतम नदियों में से एक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि, मां नर्मदा के पावन जल से स्नान करने मात्र से ही मानव के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है। एक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव घोर अराधना में लीन थे। इससे उनके शरीर से पसीना निकलने लगा था। यह पसीना नदी के रूप में बहने लगा और वह नर्मदा नदी बन गई। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। इसके अलावा रामायण और महाभारत में भी इस नदी उल्लेख है।

तिथि कब से कब तक

सप्तमी तिथि आरंभ: 15 फरवरी 2024, गुरुवार सुबह 10 बजकर 12 मिनट से

सप्तमी तिथि समापन: 16 फरवरी 2024, शुक्रवार सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक

इस विधि से करें पूजा

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और नित्यक्रमादि से निवृत्त हों।

इसके बाद सूर्योदय के समय नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगाएं। समय के अभाव में सूर्यास्त के मध्य तक भी स्नान और पूजा की जा सकती है।

नदी में फूल, दीपक, हल्दी, कुमकुम आदि अर्पित करें।

इसके बाद हाथ जोड़कर स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

नर्मदा नदी के तट पर गेहूं के आटे का दीपक प्रज्वलित करें।

इसके बाद संभव हो तो संध्या के समय नर्मदा नदी की आरती करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   15 Feb 2024 8:57 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story