चंद्रमा का कुण्डली के बारह भाव में शुभाशुभ होने का क्या है फल

Astrology: Effects of MOON in different Houses with Its Measures
चंद्रमा का कुण्डली के बारह भाव में शुभाशुभ होने का क्या है फल
चंद्रमा का कुण्डली के बारह भाव में शुभाशुभ होने का क्या है फल

डिजिटल डेस्क, भोपाल। चन्द्रमा का प्रभाव जन्मकुंडली के विभिन्न भाव में भिन्न भिन्न रूप में पड़ता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा का विशेष महत्त्व है। चंद्रमा को वैदिक ज्योतिष में मंत्री पद प्राप्त है एवं चन्द्रमा को मन का कारक कहा जाता है | 

जिस प्रकार मन के बिना हम कोई भी कार्य नहीं कर सकते उसी तरह से चन्द्रमा के बिना ज्योतिष शास्त्र अधूरा है। ज्योतिष शास्त्र में जिस प्रकार सूर्य राजा है उसी प्रकार चंद्रमा मंत्री है। चंद्रमा हमारे मन और भावना का प्रतीक है। चन्द्रमा का अपना घर कर्क राशि है तथा वृष राशि में चन्द्रमा उच्च का होता है।

चन्द्रमा का स्वभाव बहुत ही संवेदनशील है। इस ग्रह की प्रकृति ठंडी है। ज्योतिष में चन्द्रमा निम्न विषयों का कारक होता है मन,जल, गर्भाधान, शिशु अवस्था, व्यवहार, उत्तर पश्चिम दिशा, माता, दूध, और मानसिक शांति, विदेश यात्रा इत्यादि का कारक है।

आइये जानते हैं कि चंद्रमा जन्मकुंडली में स्थित बारह भावो में किस प्रकार का फल देता है। वैसे यह फल सामान्य फल ही होगा क्योकि ग्रह का फल अन्य ग्रह के दृष्टि या साथ होने पर बदल देते हैं जब चंद्रमा किसी घर में अकेला बैठा होता है और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि नहीं है तो जातक सौम्य प्रकृति का होगा परन्तु यदि चन्द्रमा मंगल के साथ बैठा है या दृष्टि सम्बन्ध है जातक झगड़ालू या क्रोधी स्वभाव का हो जायेगा।

Created On :   3 Oct 2018 10:23 AM GMT

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