Jayeshtha Gauri Pujan 2025: महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है यह पर्व, जानिए ज्येष्ठ गौरी पूजन का महत्व

महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है यह पर्व, जानिए ज्येष्ठ गौरी पूजन का महत्व

डिजिटल डेस्क, भोपाल। देशभर में गणेश उत्सव की धूम है और इस बीच महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक ज्येष्ठ गौरी पूजन (Jayeshtha Gauri Pujan) की शुरुआत हो गई है। इस उत्सव को तीन दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर, मराठी महिलाएं व्रत रखती हैं और देवी गौरी की पूजा करती हैं।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस साल इसकी शुरुआत 01 सितंबर 2025, सोमवार से हो रही है। वहीं 2 सितंबर को गौरी विसर्जन के साथ यह पर्व समाप्त होगा। आइए जानते हैं इसका महत्व...

ज्येष्ठ गौरी पूजन का महत्व

इस पर्व को खास तौर पर महाराष्ट्र में मराठी समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस खास दिन महिलाएं 16 प्रकार के विशेष और पारंपरिक भोग प्रसाद तैयार करती हैं। इसके साथ ही वे पारंपरिक और भक्ति गीत और भजन गाती हैं। इस दिन सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखा जाता है और पूरे विधि विधान से माता गौरी की पूजा की जाती है। इस त्यौहार में सिर्फ महिलाएं ही भाग लेती हैं और वे अपने घर को फूलों से सजाती हैं। वे घर के प्रवेश द्वार पर देवी गौरी के पैर बनाती हैं।

तीन दिनों तक मनाया जाता है यह पर्व

यह त्यौहार लगातार 3 दिनों तक मनाया जाता है। पर्व के पहले दिन घर पर माता गौरी की प्रतिमा को लाया जाता है। इस दिन को गौरी आवाहन दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं इसके अगले दिन माता गौरी की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। जबकि, तीसरे दिन विसर्जन के साथ ही इस पर्व का समापन होता है। धार्मिक मान्यता है कि, इस पूजा के समापन के साथ ही माता गौरी कैलाश पर्वत पर लौट जाती हैं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   31 Aug 2025 11:19 PM IST

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