मां कूष्मांडा की भक्ति से होगी यश, बल और आरोग्य की वृद्धि, जानें पूजा विधि

Chaitra Navratri 4th day: Worship of Maa Kushmanda will increase fame, strength and health
मां कूष्मांडा की भक्ति से होगी यश, बल और आरोग्य की वृद्धि, जानें पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की भक्ति से होगी यश, बल और आरोग्य की वृद्धि, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन आदिशक्ति भवानी के चौथे रूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। इस वर्ष देवी कूष्मांडा की पूजा 25 मार्च, शनिवार को की जाएगी। माना जाता है कि, मां कूष्मांडा की भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कूष्मांडा सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि देवी ने ही ब्रह्नांड को बनाया है। 

संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं, और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है।ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुध ग्रह से है। देवी की पूजा करने से भक्तों को रोग शोक एवं तमाम दोष से लड़ने की शक्ति मिलती है। इस दिन कुम्हड़ा की बली देने से मां कूष्मांडा बहुत प्रसन्न होती हैं। आइए जानते हैं देवी कूष्मांडा की पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र।

स्वरूप
कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इन सभी चीजों के अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है और इनकी भक्ति से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है।

अपनी हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड(अंड) को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्मांडा हुआ। ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं। मां की आठ भुजाएं हैं। ये अष्टभुजाधारी देवी के नाम से भी विख्यात हैं। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते है और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है। ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुध ग्रह से है।

पूजा विधि 
इस दिन हरे वस्त्र धारण करके मां कूष्मांडा का पूजन करें। पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें। इसके बाद उनके मुख्य मंत्र "ॐ कूष्मांडा देव्यै नमः" का 108 बार जाप करें। यदि आप चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। आज के दिन माता को मालपुए बनाकर विशेष भोग लगाएं। इसके बाद उसको किसी ब्राह्मण या निर्धन को दान कर दें।  

मंत्र 
या देवी सर्वभुतेषु मां कूष्मांडा रुपेणा संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

 

Created On :   24 March 2023 12:09 PM GMT

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