गुरु-चाण्डाल योग है विनाशकारी, कैसे बचें इसके दुष्प्रभाव से ?

Chandal Dosh: Know Effects of Guru Chandal Yoga in Horoscope
गुरु-चाण्डाल योग है विनाशकारी, कैसे बचें इसके दुष्प्रभाव से ?
गुरु-चाण्डाल योग है विनाशकारी, कैसे बचें इसके दुष्प्रभाव से ?

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अनेक ज्योतिषीय दोषों में कुछ ऐसे महान दोष भी शामिल हैं, जो किसी भी जातक के जीवन को नर्क से भी बदतर बना देते हैं। ऐसे में उस जातक को कहीं भी सहारा नहीं मिलता और वह बेहद परेशान हो जाता है। साढ़ेसाती, कालसर्प दोष, मंगल दोष आदि से भी बढ़कर दोष तब जन्म लेता है जब देवगुरु बृहस्पति के साथ या दृष्टि संबंध बनाता हुआ राहु मौजूद हो।

क्या है गुरु चांडाल योग ? 

ज्योतिष में कई ऐसे योग होते हैं जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं में से एक है गुरु-चांडाल योग। राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं और अशुभ भी। यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हों उस भाव सबंधी अनिष्ठ फल दर्शाते हैं। राहु और गुरु जब साथ होते हैं या फिर एक-दूसरे को किन्हीं भी भावों में बैठकर देखते हों, तो गुरु चाण्डाल योग का निर्माण होता है। यह योग किसी भी इंसान के लिये अच्छा नहीं होता है। उस व्यक्ति को जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जिस जातक के जन्मांग में यह योग होता है वह निराशावादी और आत्मघाती स्वभाव वाला होता है। जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग यानि कि गुरु-राहु की युति हो तो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति गुरुजनों का भी अपमान करता है खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए गुरु का अपमान भी करने से पीछे नहीं हटता। ऐसा जातक धर्म और शास्त्रों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए करता है।

ऐसा व्यक्ति षडयंत्र करने वाला, ईर्ष्या-द्वेष, छल-कपट आदि दुर्भावना रखने वाला एवं कामुक प्रवृत्ति का होता है, गुरु चांडाल योग होने पर जातक को कोई न कोई शारीरिक मानसिक विकृति होती है। अत: उस व्यक्ति के साथ रहने वाला इंसान भी उससे परेशान रहता है। गुरु-चांडाल दोष को दूर करने के कई सारे उपाय होते हैं, जिन्हें करने से आप इस दोष से मुक्त हो सकते हैं। हम आपको बताएंगे कि किन उपायों को करने से आप इस दोष से मुक्त हो सकते हैं।
 


गुरु चांडाल दोष को दूर करने के उपाय

  • अगर कुंडली या गोचर कुंडली में इस योग का प्रभाव हो तो राहु का जप-दान करें। योग्य गुरु की शरण में जाकर सेवा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यवहार में सामाजिकता लाएं। निर्णय लेते समय बड़ों की राय अवश्य लें। माता-पिता व वृद्धों का सम्मान करें।
     
  • राहु हनुमत आराधना से डरता है इसलिये हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें। और हो सके तो सप्ताह में 1 बार संगीतमय सुन्दरकांड का पाठ करें या करवाएं।
     
  • गाय को हरी घास खिलाएं और गरीबों को दान दें।
     
  • गणेशजी और शिव जी की उपासना और मंत्र जाप करें।
     
  • बरगद के पेड़ की जड़ में कच्चा दूध डालें।
     
  • किसी योग्य व्यक्ति से राहु शांति का उपाय अवश्य करवाएं।
     
  • भगवान शिव की आराधना नियमित रूप से करें। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
     
  • अगर गुरु चांडाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने तो उस स्थिति में राहु को शांत करने का उपाय करना होगा, ताकि गुरु हमें अच्छा फल दे सके।
     
  • अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो गुरु और राहु दोनों के उपाय करने होंगे। गुरु-राहु से संबंधित मंत्र-जाप, पूजा, हवन तथा दोनों से सम्बंधित वस्तुओं का दान करना होगा।
     
  • गुरु की मजबूती के लिए केले का पूजन करें लाभ होगा। केला पूजन से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और राहु को भय होता है। 

Created On :   5 May 2018 11:47 AM IST

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