Mohini Ekadashi 2025: कब है मोहिनी एकादशी? जानिए पूजन विधि और इसका महत्व

कब है मोहिनी एकादशी? जानिए पूजन विधि और इसका महत्व
  • इस वर्ष यह एकादशी 8 मई, गुरुवार को है
  • इसी दिन श्रीहरि ने मोहिनी अवतार लिया था
  • पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ ही भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि, जो भक्त एकादशी व्रत रखते हैं, उन्हें मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

इस दिन को लेकर धार्मिक मान्यता है कि, इसी दिन भगवान श्रीहरि ने संसार की रक्षा के लिए मोहिनी अवतार लिया था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस वर्ष यह व्रत 8 मई 2025, गुरुवार के दिन रखा जाएगा।

तिथि कब से कब तक

एकादशी तिथि आरंभ: 07 मई 2025, बुधवार की सुबह 10 बजकर 20 मिनट से

एकादशी तिथि समापन: 08 मई 2025, गुरुवार की दोपहर 12 बजकर 29 मिनट से

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

मोहिनी एकादशी व्रत विधि

- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तिल का लेप या फिर तिल मिले जल से स्नान करें।

- इसके बाद लाल वस्त्रों से सजे कलश की स्थापना कर पूजा करें।

- भगवान विष्णु और श्रीराम का धूप-दीप, फल-फूल आदि से पूजन करें।

- मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें अथवा सुनें।

- पूजन के बाद प्रसाद वितरण कर ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।

- रात के समय भगवान का भजन करें।

- द्वादशी के दिन एकादशी व्रत का पारण करें।

- सबसे पहले भगवान की पूजा कर ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद को भोजनादि कराएं और उन्हें दान दक्षिणा दे और फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें।

मोहनी एकादशी का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान उससे निकले अमृत प्राप्ति के बाद देवताओं व असुरों में आपाधापी मच गई थी। राक्षसों की शक्ति इतनी थी कि वे असुरों को हरा नहीं सकते थे। ऐस में सभी देवता भगवान श्रीहरि की शरण में पहुंचे और उन्हें इस समस्या का निवारण करने को कहा। इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर असुरों को अपने मोह माया के जाल में फांसकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया जिससे देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया। इसके बाद से ही इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   6 May 2025 5:35 PM IST

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