Kalashtami 2025: जानिए कालाष्टमी पूजा की सही विधि और शुभ मुहूर्त

- अष्टमी तिथि काल भैरव देव को समर्पित होती है
- कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यह व्रत रखा जाता है
- काल भैरव को सुरक्षा का देवता भी माना जाता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव देव को समर्पित होती है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान से पूजा करने पर भगवान भैरव अपने भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करते हैं। काल भैरव को सुरक्षा का देवता भी माना जाता है और मान्यता है कि उनकी पूजा करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है।
फिलहाल, भाद्रपद मास चल रहा है और इस महीने में कालाष्टमी व्रत 16 अगस्त 2025, शनिवार को यानि कि आज है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में...
तिथि कब से कब तक
अष्टमी तिथि आरंभ: 15 अगस्त 2025, शुक्रवार की रात 11 बजकर 49 मिनट से
अष्टमी तिथि समापन: 16 अगस्त 2025, शनिवार की रात 9 बजकर 34 मिनट पर
ऐसे करें पूजा
- कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
- इस दिन काल भैरव की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती की पूजा भी करें।
- काल भैरव को फूल, चंदन, रोली, सिंदूर आदि अर्पित करें।
- काल भैरव को फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
- काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करें।
- पूजा के दौरान भैरव कथा का पाठ करें।
पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय. कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा।।
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Created On :   16 Aug 2025 5:57 PM IST