Nagpur News: सीएम बोले - मैं भी हूं गुरु नानक नाम लेवा, भव्यता से मनाया जाएगा श्री गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी शताब्दी समारोह

  • सीएम ने सिख धर्म के बलिदानों को किया याद
  • गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के पदाधिकारियों से की मुलाकात
  • श्री गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी शताब्दी समारोह की तैयारियों का जायजा

Nagpur News. सिख धर्म की गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों के पदाधिकारियों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। इस अवसर पर सिख संस्थाओं ने श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी के अवसर पर आयोजित होने वाले भव्य समागम में सहयोग के लिए मुख्यमंत्री और राज्य सरकार का आभार जताया।


दो दिन तक चलने वाले इस आयोजन में कीर्तन दरबार और गुरु इतिहास पर विशेष रूप से प्रकाश डाला जाएगा। इस संदर्भ में महाराष्ट्र राज्य पंजाबी साहित्य अकादमी (अल्पसंख्यक विकास विभाग) के सदस्य स. राजवंतपाल सिंह तुली (गोल्डी तुली) और स. गुरमीत सिंह खोखर, मुख्य सेवादार गुरुद्वारा कालगीधर दरबार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सिख धर्म से संबंधित कुछ मांगों को शीघ्र पूरा करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वे स्वयं गुरुनानक नाम लेवा हैं और गुरु महाराज के समागम के लिए राज्य सरकार किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आने देगी।


इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने यह मुद्दा भी उठाया कि महानगर के दो मुख्य चौक, जिनके नाम गुरुनानक देव जी और गुरु गोबिन्द सिंह जी पर रखे गए हैं, उनके मेट्रो स्टेशनों पर इन नामों का उल्लेख नहीं है। इस पर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को शीघ्र नाम अपडेट करने के निर्देश देने की बात कही।


इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ सदस्य मलकीत सिंह बल, स. परमजीत सिंह भाटिया, स. गजेंद्र सिंह लोहिया, स. दविंदर सिंह, स. परमवीर सिंह, स. रणजीत सिंह ताक, स. तजिन्दर सिंह, स. गुरुदियाल सिंह पढ्ढा, स. सुखविंदर सिंह गिल, आनंद गुडवानी (अमृत वेला ट्रस्ट), राजेश मुनियार, स. संदीप सिंह गुरु गोबिंद सिंह जी सेवा दल सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।


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आपको बतादें गुरु तेगबहादुर जी की शहादत सिख इतिहास और धार्मिक स्वतंत्रता के संघर्ष का प्रेरणादायक अध्याय है। गुरु तेगबहादुर जी की शहादत से धार्मिक स्वतंत्रता प्रबल हुई। 17वीं शताब्दी में औरंगज़ेब के शासनकाल में जब कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं पर जबरन धर्म परिवर्तन का दबाव डाला गया, तब उन्होंने पात्शाह जी ने उनकी रक्षा के लिए कदम बढ़ाया। कश्मीरी पंडितों ने धर्म परिवर्तन के खतरे से बचने के लिए गुरु तेगबहादुर जी से मदद मांगी। गुरु जी ने स्पष्ट कहा कि वे किसी को जबरन धर्म बदलने की अनुमति नहीं देंगे।


बड़ी शहादत

  • 1675 में उन्हें दिल्ली बुलाया गया और चांदनी चौक में कैद किया गया।
  • धर्म परिवर्तन और जीवन का विकल्प दिया।
  • 24 नवंबर 1675 को गुरु नानक पात्शाह के संदेश (पहला मरण कबूल) को अंगीकार करते हुए शहादत स्वीकार की।

पहले उनके तीन सिखों भाई मतीदास, भाई सतिदास और भाई दयाला जी को यातनाएं देकर शहीद किया गया था।

महत्व और विरासत

  • आज भी दिल्ली का गुरुद्वारा शीश गंज साहिब उसी स्थान पर स्थित है, जहां गुरु जी ने शहादत दी थी।
  • इस इतिहासिक घटना को 350 साल पूरे हो रहे हैं। उनकी याद भारत ही नहीं दुनियाभर में मनाई जा रही है।

खासकर महाराष्ट्र में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी शताब्दी के अंतर्गत 6 और 7 दिसंबर को बड़ा आयोजन होने जा रहा है। इसके भव्य समारोह की तैयारी शुरू हो गई है। जिसके लिए सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया जा रहा है। अनुमान है कि इस अवसर पर विदर्भभर से तीन लाख से अधिक संगत उपराजधानी नागपुर में पहुंचेगी। इसके लिए बड़े पैमाने पर आवास एवं अन्य सुविधाओं की आवश्यकता होगी, जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दी गई है। सीएम ने समाजिक आयोजनों के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।




Created On :   10 Aug 2025 6:58 PM IST

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