Chhath Puja: आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानें छठ पूजा का महत्व

Chhath Puja: Arghya will be given to the setting sun today
Chhath Puja: आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानें छठ पूजा का महत्व
Chhath Puja: आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानें छठ पूजा का महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से देवी छठ माता की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है और सप्तमी तिथि की सुबह तक चलती है। आज सर्वार्थसिद्ध योग (20 नवंबर, शुक्रवार) में छठ पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं।

बता दें कि छठ एक कठिन पर्व है जिसमें 36 घंटों तक निर्जला व्रत रहकर पानी में खड़े होकर सूर्य को जल चढ़ाया जाता है और उनसे अपने परिवार की मंगल कामना की प्रार्थना की जाती है। आज जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाएगा। आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में... 

कार्तिक मास: जानें हिन्दू धर्म में क्यों माना गया है इस सबसे उत्तम माह

तिथि
ज्योतिषाचार्य के अनुसार षष्ठी तिथि 19 नवंबर को रात 9:58 बजे से प्रारंभ हो चुकी है जो 20 नवंबर को रात 9:29 बजे तक रहेगी। इसके अगले दिन सूर्य को सुबह अर्घ्य देने का समय 6:48 बजे है। 18 नवंबर को रवि योग में शुरू हुआ यह पर्व 21 नवंबर को समाप्त होगा।

महत्व
ऐसा माना जाता है कि एक बार पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए। तब पांडवों को देखकर द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था। इस व्रत के बाद दौपद्री की सभी मनोकामनाएं पूरी हुई थीं। तभी से इस व्रत को करने की प्रथा चली आ रही है। परंपरा के अनुसार छठ पर्व के व्रत को स्त्री और पुरुष समान रूप से रख सकते हैं। छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली पौराणिक और लोककथाओं के अनुसार यह पर्व सर्वाधिक शुद्धता और पवित्रता का पर्व है।

एक मान्यता के अनुसार लंका पर विजय प्राप्‍त करने के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी छठ के दिन भगवान राम और माता सीता ने व्रत किया था और सूर्यदेव की आराधना की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

कार्तिक मास: इन बातों का रखें ध्यान, जानें इस माह में क्या करें क्या ना करें

संतान सुख की प्राप्ति 
छठ व्रत सूर्य देव, उषा, प्रकृति, जल और वायु को समर्पित हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से करने से नि:संतान स्त्रियों को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं। यह व्रत संतान की रक्षा और उनकी जिंदगी में तरक्की और खुशहाली लाने के लिए किया जाता है। विद्वानों का मानना है कि सच्चे मन‌ से छठ व्रत रखने से इस व्रत का सैकड़ों यज्ञ करने से भी ज्यादा बल प्राप्त होता है। कई लोग केवल संतान ही नहीं बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि लाने के लिए भी यह व्रत रखते हैं।

Created On :   20 Nov 2020 5:13 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story