- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- औरंगाबाद
- /
- श्री भक्तामर दिवस - भक्ति, शक्ति और...
Sambhaji Nagar News: श्री भक्तामर दिवस - भक्ति, शक्ति और मुक्ति के संगम में 25 हजार से अधिक श्रद्धालु रहे उपस्थित

- श्री भक्तामर दिवस समारोह ने शहर में रचा इतिहास
- भक्ति, शक्ति और मुक्ति का संगम
- 25 हजार से अधिक श्रद्धालु रहे उपस्थित
Sambhaji Nagar News. जैन धर्म के महामंगलकारी श्री भक्तामर स्तोत्र की विश्वव्यापी प्रसिद्धि के उपलक्ष्य में गुरुवार, 9 अक्टूबर को छत्रपति संभाजीनगर में एक ऐतिहासिक समारोह का आयोजन किया गया। विश्व में शांति स्थापना के संकल्प के साथ मनाए गए इस समारोह ने शहर में भक्ति, शक्ति और मुक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय श्री भक्तामर प्रभावना संघ और सकल जैन समाज भारत की पहल पर अंतरराष्ट्रीय श्री भक्तामर दिवस के रूप में मनाया गया। बीड़ बायपास रोड स्थित जाबिंदा ग्राउंड पर बनाए गए भव्य श्री भक्तामर देशना पंडाल में यह समारोह संपन्न हुआ। सामूहिक स्तोत्र पठन के दौरान मंच पर आचार्य डॉ. प्रणामसागर महाराज, उपाध्याय विरंजनसागर महाराज और प्रभावसागर महाराज सहित सहसंघ की उपस्थिती रही। कार्यक्रम का संचालन पंचायत अध्यक्ष महावीर पाटणी और सचिव प्रकाश अजमेरा ने किया। इस अवसर पर छत्रपति संभाजीनगर जिले के 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने एकत्र होकर जैन समाज की एकता और आस्था का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।
भक्तों की उपस्थिति का बना रिकॉर्ड
इस समारोह में उपस्थित श्रद्धालुओं की संख्या ने एक नया रिकॉर्ड बनाया। अंतरराष्ट्रीय श्री भक्तामर प्रभावना संघ के अनुसार, जिले के हर जैन मंदिर से श्रद्धालु “हर घर भक्तामर, घर-घर भक्तामर” संकल्प को साकार करने के लिए जाबिंदा ग्राउंड पहुंचे।
भक्तों के लिए स्थल पर जलपान और महाप्रसाद की उत्तम व्यवस्था की गई थी। कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 6 बजे आचार्य डॉ. प्रणामसागर महाराज की उपस्थिति में अरिहंत नगर के श्री युग प्रवर्तक आदिनाथ मंदिर से शुरू हुई मंगलमय धर्मयात्रा से हुआ, जो शहानूरवाड़ी दरगाह से गुजरते हुए सुबह 7 बजे जाबिंदा मैदान पहुंची। भक्तामर वाले बाबा के रूप में विख्यात आचार्य डॉ. प्रणामसागर महाराज के मार्गदर्शन से यह संकल्प विश्वव्यापी बन गया। उनकी प्रभावशाली वाणी और साहित्य ने भक्तामर स्तोत्र के सामर्थ्य को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया।
प्रस्तुत हुआ भक्तिमय मंगलाचरण
मंच पर उपस्थित आचार्य डॉ. प्रणामसागर महाराज, उपाध्याय विरंजनसागर महाराज और मुनि प्रभावसागर महाराज की सान्निध्य में विकांत वायकोस गुरुजी की कला अकादमी ने भक्तिमय मंगलाचरण प्रस्तुत किया, जिसने वातावरण को आध्यात्मिकता से भर दिया।
अपने मंगल प्रवचन में आचार्य डॉ. प्रणामसागर महाराज ने कहा —“भक्तामर स्तोत्र केवल श्लोकों का संग्रह नहीं, बल्कि एक महामंत्रों का समुच्चय है। इसके प्रत्येक श्लोक में ऊर्जा और चमत्कारी शक्ति निहित है। जब कोई भक्त पूर्ण श्रद्धा और शुद्धता से इसका पठन करता है, तो उसके सभी संकट और बाधाएँ दूर हो जाती हैं। यह स्तोत्र ग्रहों को शांत करता है, रोगों को नष्ट करता है और भक्त को निर्भय बनाता है। यह केवल कल्याण का मार्ग नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सेतु है — सकारात्मकता और समृद्धि की चाबी।”
यह भी पढ़े -शरद पूर्णिमा पर हर्षा रिछारिया, छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री और निर्भय वाधवा ने किए महाकाल के दर्शन
09:09:09 का मंगलमय क्षण
- समारोह का सबसे विशेष और ऐतिहासिक क्षण सुबह ठीक 9 बजकर 9 मिनट और 9 सेकंड (09:09:09) पर आया, जब हजारों श्रद्धालुओं ने एकसाथ भक्तामर स्तोत्र का सामूहिक पठन किया।
- इस अद्भुत दृश्य ने पूरे जाबिंदा ग्राउंड को भक्तिमय और चैतन्यमय बना दिया। श्रद्धालुओं के स्वर से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा और वातावरण में अलौकिक ऊर्जा का संचार हुआ।
विदेशों से भी जुड़े श्रद्धालु
- समारोह की विशेषता यह रही कि आचार्य डॉ. प्रणामसागर महाराज की प्रेरणा से भारत के साथ-साथ ब्रिटेन, अमेरिका, दुबई, कुवैत, जर्मनी, जापान और दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों के भक्त ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।
- इतना ही नहीं, देश-विदेश के 48 आचार्य भगवंतों ने भी ऑनलाइन माध्यम से स्तोत्र पठन में सहभागिता की। आयोजकों ने बताया कि भारतीय इतिहास में पहली बार इस प्रकार का दिव्य योग साकार हुआ है।
कार्यक्रम का समापन सुबह 10:15 बजे सामूहिक राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर समाज, भक्ति, एकता और आध्यात्मिक उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला — जिसने वास्तव में शहर में इतिहास रच दिया।
Created On :   9 Oct 2025 9:07 PM IST