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औरंगाबाद खंडपीठ: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा - पत्नी पर व्यभिचार का आरोप साबित नहीं, तो वह बच्चों संग पेंशन की हकदार

- पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभ पाने के हकदार
- जब पत्नी पर व्यभिचार का आरोप साबित नहीं
Sambhaji Nagar News. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने अहम फैसला देते हुए कहा कि यदि पत्नी पर व्यभिचार का आरोप सिद्ध न हो, तो वह और बच्चे मृत सरकारी कर्मचारी की पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभ पाने के हकदार हैं। न्यायमूर्ति मनीष पितले और न्यायमूर्ति वाई.जी. खोब्रागड़े की पीठ सरकारी मेडिकल कॉलेज के एक एसोसिएट प्रोफेसर की पत्नी व दो बच्चों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कर्मचारी ने 2011 में पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाकर तलाक का मामला दायर किया था और पेंशन लाभ के लिए भाई का नाम नामांकित कर दिया था।
नियमों के खिलाफ नामांकन
अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियमावली के अनुसार, यदि सरकारी कर्मचारी का परिवार है, तो पेंशन का नामांकन केवल पत्नी और बच्चों के पक्ष में ही हो सकता है। भाई को नामांकित करना नियमों के विपरीत है।
कोर्ट का स्पष्ट आदेश
अदालत ने कहा कि पत्नी को पेंशन से केवल तभी वंचित किया जा सकता था जब न्यायालय द्वारा उसे व्यभिचार में दोषी ठहराया जाता, लेकिन यहां केवल आरोप थे, जो कभी सिद्ध नहीं हुए। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि 8 सप्ताह में बकाया राशि का भुगतान करें, अन्यथा 9% वार्षिक ब्याज देना होगा। साथ ही, परिवार पेंशन तुरंत शुरू करने के निर्देश दिए।
Created On :   28 Sept 2025 6:20 PM IST