औरंगाबाद खंडपीठ: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा - सामाजिक और राजनीतिक नेताओं की आलोचना धर्म का अपमान नहीं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा - सामाजिक और राजनीतिक नेताओं की आलोचना धर्म का अपमान नहीं
  • सामाजिक या राजनीतिक नेताओं की आलोचना को धर्म का अपमान नहीं माना जा सकता
  • एक मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए टिप्पणी

Sambhaji Nagar News. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि सामाजिक या राजनीतिक नेताओं की आलोचना को धर्म का अपमान नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति हितेन वणेगांवकर की पीठ ने एक मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 295ए का उद्देश्य केवल धर्म, धार्मिक मान्यताओं और पूजा-पद्धति की रक्षा करना है, न कि नेताओं की आलोचना से उन्हें कानूनी सुरक्षा देना।

मामला क्या था

मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने शराब के नशे में स्थानीय बार में मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल के खिलाफ अपशब्द कहे। शिकायतकर्ता का आरोप था कि इस टिप्पणी से धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। अदालत ने माना कि जरांगे-पाटिल समुदाय की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, पर वे ‘धर्म’ नहीं हैं।

आवेदक का पक्ष

आवेदक की ओर से अधिवक्ता आई.डी. मणियार ने दलील दी कि यह टिप्पणी धर्म, देवी-देवता या धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ नहीं थी, बल्कि नशे में की गई अपशब्द टिप्पणी थी। तुरंत माफी भी मांग ली गई थी। न तो हिंसा हुई और न ही सांप्रदायिक तनाव फैला। यह एफआईआर राजनीतिक दबाव और कानून के दुरुपयोग का उदाहरण है।

राज्य का पक्ष

राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक जी.ए. कुलकर्णी ने कहा कि जरांगे-पाटिल समुदाय की भावनाओं के प्रतीक हैं और उनके खिलाफ अपशब्द पूरे समाज का अपमान माने जा सकते हैं। ऐसे बयान कानून-व्यवस्था बिगाड़ सकते हैं।

अदालत का निर्णय

पीठ ने कहा कि धार्मिक आस्था और राजनीतिक सम्मान अलग-अलग हैं। नशे की स्थिति, तुरंत माफी और किसी सांप्रदायिक तनाव की अनुपस्थिति यह दर्शाती है कि कोई दुर्भावना नहीं थी। यदि ऐसे मामलों को धारा 295ए के तहत लाया गया तो यह स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर गंभीर खतरा होगा और राजनीतिक मतभेदों को अपराध बना देगा। अदालत ने 12 दिसंबर 2023 की एफआईआर को रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट ने कहा, "स्वतंत्र अभिव्यक्ति लोकतंत्र की जीवनरेखा है। नेताओं की आलोचना असम्मानजनक हो सकती है, लेकिन धर्म का अपमान नहीं। कोई भी व्यक्ति चाहे वह समुदाय का प्रतिनिधि ही क्यों न हो, धर्म नहीं बन सकता।"


Created On :   28 Sept 2025 6:10 PM IST

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