बुरी शक्तियां दूर करने भी लगाते थे क्रिसमस ट्री, यहां जानें रोचक FACTS...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्रिसमस के त्योहार की धूम दिसंबर माह के पहले सप्ताह से ही नजर आने लगती है। हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार बड़े दिन के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो इस त्योहार में अनेक चीजों का महत्व है, लेकिन घरों से लेकर चर्च तक यदि सबसे ज्यादा कुछ आकर्षित करता है तो वह है क्रिसमस ट्री का, मौसम के अनुसार पेड़ों की पत्तियां झड़ती हैं, लेकिन इस पेड़ की ना ही पत्तियां झड़ती हैं और ना ही ये मुरझाता है। इस पेड़ को घंटियों, लाइट, मोजे आदि से सजाया जाता है, जिसके बाद इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। अनेक स्थानों पर इसे क्रिसमस के पहले ही सजा लिया जाता है। यहां हम आपको इसी क्रिसमस ट्री के बारे में बताने जा रहे हैं...
-क्रिसमस ट्री का उल्लेख बाइबल में नही मिलता, किंतु इसे सजाने की परंपरा बरसों पुरानी है। आमतौर पर ये ठंडे प्रदेशों में मिलने वाला पेड़ है, इंडिया में नही पाया जाता। इसलिए लोग आर्टिफिशियल ट्री का भी उपयोग करते हैं।
-बर्फीले स्थानों पर सदाबहार शंकुधारी ये ट्री प्रायः बर्फ से ढंके रहते हैं, लोग इसे जंगल से काटकर लाते हैं। जिसके बाद उसे सजाया जाता है और मार्केट में भी सप्लाई किया जाता है।
-क्रिसमस ट्री को इंग्लैंड में लोग जन्मदिन विवाह या किसी परिजन की मृत्यु होने पर भी उसकी स्मृति स्वरूप रोपते हैं।
-इसे लेकर नाॅर्वे, स्वीडन, बेल्जियम जैसे देशों में ऐसी भी मान्यता है कि इसे लगाने से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं। भूत प्रेत आदि नही आते।
-प्राचीन इतिहास सहित कुछ कहानियों से ऐसा पता चलता है कि क्रिसमस ट्री अदन के बाग में भी लगा था। हव्वा ने उस वृक्ष के फल को एक बार तोड़ा, उन्हें परमेश्वर ने इसे खाने से मना किया था। कहा जाता है कि ऐसा करने की वजह से ही इसकी पत्तियां सिकुड़कर नुकीली बन गईं।
Created On :   21 Dec 2017 3:04 AM GMT