मणिकर्णिका घाट की होली, जहां होता है मृत्यु का उत्सव

Devotees will play bhasm holi at the manikarnika ghat varanasi
मणिकर्णिका घाट की होली, जहां होता है मृत्यु का उत्सव
मणिकर्णिका घाट की होली, जहां होता है मृत्यु का उत्सव

 

डिजिटल डेस्क, वाराणसी। मर्णिकर्णिका घाट इसके बारे में कहा जाता है कि शवों की कतार कहीं लगती है तो वह यही है। इससे पूर्व हम आपको इस घाट और शिव के कुण्डल एवं रंगभरी ग्यारस से प्रारंभ मरघट में फागोत्सव के बारे में बता चुके हैं। इसे भारत का महाश्मशान कहा जाता है। जहां मोक्ष की कामना से शवों का दाह संस्कार किया जात है। इसके लिए भी यहां विशेष नियम हैं। आज हम आपको इस घाट के और नजदीक लेकर चल रहे हैं...


यह शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा घाट है जहां मृत्यु एक उत्सव है। यहां शवों के कान में तारक मंत्र कहा जाता है। धधकती चिताओं के बीच पसरे सन्नाटे में लोग आंखों में आंसु लिए आते हैं, लेकिन यहां आकर सबकुछ खामोश हो जाता है। इस स्थान पर अनवरत चिताएं जलती रहती हैं। शिव की लीलाओं के साक्षी इस महाश्मशान में पहुंचते ही मनुष्य जीवन के एक दूसरे ही रंग से एकाकार कर जाता है। मृतक को यहां आकर मोक्ष मिलता है और जीवित का सांसरिक सत्य से सामना। कई बार तो चिताओं का धुआं बादलों को चीरता हुआ नजर आता है। 

 

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सन्नाटे में मुर्दों के बीच तप

गंगा तट पर बसे इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने रंगभरी ग्यारस पर अपने गौने के बाद होली खेलकर भक्तों को मोक्ष का वरदान दिया था। शिव को श्मशान वासी भी कहा जाता है और ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां महादेव भस्म रमाकार निवास करते हैं और अपने अनन्य भक्तों की पुकार सुनकर उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्त कराते हैं। यही वजह है कि शिव चरणों में आने के बाद यहां मृत्यु को यहां उत्सव माना जाता है। यहां अघोरी, तांत्रिक भी रात के सन्नाटे में मुर्दों के बीच बैठकर तप करते हैं। इन्हें अनन्य शिवभक्त माना जाता है। 

 

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होली खेलते आते हैं नजर
इस सबके बीच ऐसा भी दिन आता है जब यहां चिताओं के बीच रंग बिखर जाते हैं और भस्मधारी साधु और घोर तप करने वाले सन्यासी भी होली खेलते नजर आते हैं। हालांकि इस उत्सव को आम लोग अपने घरों की छत पर या दूर से ही खड़े होकर देखते नजर आते हैं। 

Created On :   25 Feb 2018 4:42 AM GMT

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