कई साल बाद इस शुभ योग में आई दिवाली, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

दीपावली 2022 कई साल बाद इस शुभ योग में आई दिवाली, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रोशनी का पर्व दीपावली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को धूम- धाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार दीपावली प्रदोष काल और निशीथकाल व्यापिनी में मनाई जाएगी। प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजन का सर्वाधिक महत्व है। ब्रह्मपुराण में प्रदोष काल से लेकर निशीथकाल तक रहने वाली अमावस्या को श्रेष्ठ कहा गया है। वहीं कई सालों के बाद इस वर्ष चित्रा नक्षत्र से युक्त दीपमाला का योग बन रहा है।  

बता दें कि दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी को इस संसार में भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इस त्योहार को खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्‍मक ऊर्जा का द्योतक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा की जाए तो मां प्रसन्न होती हैं। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि...

शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 24 अक्टूबर, सायंकाल 05 बजकर 27 मिनट से 
तिथि समापन: 25 अक्टूबर, मंगलवार सायंकाल 04 बजकर 16 मिनट तक
हस्त नक्षत्र: दोपहर 02 बजकर 41 मिनट तक 
अभिजित मुहूर्त: दोपहर पूर्वाह्न 12 बजकर 43 मिनट से 02 बजकर 26 मिनट तक
प्रदोषकाल: सायंकाल 5 बजकर 39 मिनट से रात्रि 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा

पूजा विधि

- सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें।
- पूजा करने वाले मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। 
- कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। 
- नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। 
- दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। 
- एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। 
- इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें। 
- मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। 
- कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। 
- गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। 
- नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। 
- इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचों बीच ॐ लिखें। 
- छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें। 

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   17 Oct 2022 5:21 PM GMT

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