जानें इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजन विधि

जानें इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजन विधि
जानें इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजन विधि
हरियाली अमावस्या 2021 जानें इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजन विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रुप में मनाया जाता है। इसे श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह अमावस्या 8 अगस्त, रविवार को है। इस अमावस्या का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह अमावस्या भगवान भोलेनाथ के प्रिय माह सावन में आती है। श्रद्धालुओं को इस दिन अपने पितृ के लिए विशेष कर दान पुण्य करना चाहिए। एस दिन पिंड दान से पितृ दोष से शांति मिलती है। 

हरियाली अमावस्या छत्तीसगढ़ का प्रमुख और पहला त्योहार है। इस मौके पर पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इस दिन किसान अपने कृषि उपकरणों की साफ- साफाई कर उनका विशेष पूजा करते हैं। वहीं कुछ स्थानों पर इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा कर उसके फेरे लगाने और मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है। आइए जानते हैं पूजा का मुहूर्त और विधि...

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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 7 अगस्त 2021, शनिवार शाम 7:13 से 
तिथि समापन: 8 अगस्त, रविवार शाम 7:21 मिनट तक

व्रत महत्व 
हरियाली अमावस्या के दिन पिपल वृक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन विशेष कर पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहिए। इस दिन पितृ देव के लिए पिंड दान एवं पितृ तर्पण के साथ-साथ गरिबों एवं ब्राम्हणों को वस्त्र और भोजन दान करना चाहिए। पुरोणों के अनुसार, इस दिन व्रत पूजन करने से जीवन के सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है तथा जीवन में हरियाली और खुशहाली आती हैं। 

पूजा विधि
- यदि आप अमावस्या पर व्रत कर रहे हैं तो सूर्यादय से पूर्व उठें।
- नित्यक्रम और स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्य देव का जल चढ़ाएं।
- अब व्रत का संकल्प लें और पूजा का स्थान साफ करें और गंगा जल छिड़कें।
- भगवान शिव एवं शिव परिवार की विधिवत् पूजा करें।

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- पूजा घर में कलश रखें और दीपक प्रज्वलित करें।
- शिवलिंग का अभिषेक करें।
- स्नान के बाद भगवान को कुमकुम, चंदन, भस्म अर्पित करें।
- माता पार्वती को सिंदुर एवं गणपति जी को दूब अर्पित करें। 
- भगवान को फूल बेल पत्र आदि अर्पित कर भलेनाथ की धूप- दीप से आरती करें। 
- आरती के बाद भगवान को शुद्ध भोग अर्पित करें और प्रार्थना करें।

Created On :   6 Aug 2021 7:38 AM GMT

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