ससुराल के पास, यहां रखी है 'तुलसीदास' की हस्तलिखित 'रामायण'

डिजिटल डेस्क, भोपाला। तपोस्थली, ये वह स्थान है जहां कभी भगवान श्रीराम के कदम पड़े थे। यहां पहुंचते ही तपस्वियों की भूमि का एहसास खुद-ब-खुद होने लगता है। आज 30 जुलाई तुलसीदास जयंती के अवसर पर हम आपको ऐसे स्थन की ओर लेकर चलते हैं जहां उनकी हस्तलिखित रामायण के पन्ने अब भी सुरक्षित रखे हुए हैं...
चित्रकूट से 35 किलोमीटर दुर राजापुर यमुना नदी के किनारे बसी गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म स्थली है। तुलसीदास जी का जन्म चित्रकूट जिले के राजापुर में संवत 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी देवी था।
मानस मंदिर में उनके द्वारा हस्तलिखित रामचरित मानस का अयोध्या कांड रखा हुआ है। जिसकी देखरेख बाबा तुलसी के प्रथम शिष्य राजापुर निवासी गनपतराम के वंशज कर रहे हैं। राजापुर में तुलसीदास द्वारा स्थापित संकट मोचन हनुमान की सिद्ध मूर्ति है। तुलसीदास की जन्म कुटी के ठीक सामने यमुना नदी के पास उत्तर में महेवा गांव है। जहां तुलसीदास की ससुराल थी।
सम्राट अकबर ने बाबा तुलसी के शिष्य वंशजों को घाट हाट का माफी नामा भी दिया थाए जो अंग्रेजी हुकूमत तक जारी रहा। यह दस्तावेज आज भी राजापुर में है। राजापुर में यमुना नदी के तट पर तुलसी की जन्म कुटी है। जिस पर बाबा तुलसी ने जन्म लिया था।
तुलसी जन्म कुटी के प्रसूत कक्ष में तुलसीदास जी की यमुना से मिली दो फीट ऊंची काले पत्थर की दुर्लभ प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार में तुलसीदास के अराध्य भगवान श्रीरामए सीता व लक्ष्मण की भव्य मूर्ति व उनके पाश्र्व कक्ष में भगवान शिव विराजमान हैं।









Created On :   30 July 2017 11:17 AM IST