जानें इसका महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त

Indira Ekadashi 2021: Know its importance, method of worship and Muhurat
जानें इसका महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त
इंदिरा एकादशी 2021 जानें इसका महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अश्चिन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 2 अक्टूबर, शनिवार को है। इस व्रत का पितृपक्ष के समय में अत्यधिक महत्व है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। यदि आप इस व्रत का पुण्य पितरों को दान कर देते हैं, तो उनको भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

इस एकादशी को लेकर मान्यता है कि, यदि कोई पूर्वज जाने-अंजाने किए गए अपने किसी पाप की वजह से यमराज के पास अपने पाप का दंड भोग रहे हों तो विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करने उन्‍हें मुक्ति दिलाई जा सकती है। आइए जानते हैं इस एकादशी के बारे में...

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पूजा विधि 
- इंदिरा एकादशी के दिन शालिग्राम को पंचामृत से स्‍नान कराकर वस्‍त्र पहनाएं। 
- शालिग्राम की मूर्ति के सामने विधिपूर्वक श्राद्ध करें।
- धूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि से भगवान ऋषिकेश की पूजा करें।
- पात्र ब्राह्मण को फलाहारी भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें।
- दिन भर व्रत करें और केवल एक ही बार भोजन ग्रहण करें।

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- दोपहर के समय किसी पवित्र नदी में जाकर स्‍नान करें।
- पूरी रात जागरण करें और भजन गाएं।
- अगले दिन यानी कि द्वादश को सुबह भगवान की पूजा करें। 
- फिर ब्राह्मण को भोजन कराकर उन्‍हें यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
- इसके बाद पूरे परिवार के साथ भोजन ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

ध्यान रखें ये बात
मान्यताओं के अनुसार हर किसी व्यक्ति को एकादशी व्रत करना चाहिए। जो व्यक्ति व्रत नहीं कर सकता है उसे इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। 

Created On :   2 Oct 2021 11:49 AM GMT

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