कजरी तीज 2020: इस व्रत से वैवाहिक जीवन में आती है सुख- समृद्धि, जानें पूजा विधि

Kajari Teej 2020: Learn the method of worship and the importance of this fast
कजरी तीज 2020: इस व्रत से वैवाहिक जीवन में आती है सुख- समृद्धि, जानें पूजा विधि
कजरी तीज 2020: इस व्रत से वैवाहिक जीवन में आती है सुख- समृद्धि, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय संस्‍कृति में महिलाएं अधिकांश व्रत और पूजन अपने सुहाग की सलामति और परिवार के सुख के लिए करती हैं। इन्हीं में से एक व्रत है कजरी तीज, जिसे काजली तीज भी कहा जाता है। यह हिंदू त्यौहार अंधेरे पखवाड़े (कृष्ण पक्ष) के तीसरे दिन भद्रपद के चंद्र महीने में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष कजरी तीज 06 अगस्त यानी कि आज गुरुवार को है। यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रों में इस त्यौहार का बहुत महत्व है।

कजरी तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है। हालांकि गर्भवती महिलाओं को फलाहार करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा सुहागिनें बीमारी या फिर किसी अन्‍य कारण से व्रत न रखने में समर्थ न हों तो वह एक बार व्रत का उद्यापन करने के बाद फलाहार करके व्रत कर सकती हैं। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में...

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महत्व
हिन्दू धर्म में तीज का त्यौहार साल में चार बार आता है, इनमें अखा तीज, हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज शामिल हैं। अन्य तीज व्रत की तरह ही कजरी तीज भी सुहाग की रक्षा और वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि बनाए रखने के लिए की जाती है। सुहागिनें जहां अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छा वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।

कैसे करें पूजन
- इस दिन महिलाएं स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाती हैं। कई महिलाएं बाजार से लाई मूर्ति का पूजा में उपयोग करती हैं। 
- व्रती महिलाएं माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करती हैं। 
- इसके बाद वे शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करती हैं।
- पूजा के दौरान माता गौरी को सुहाग के 16 समाग्री अर्पित करती हैं। 
- भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि चढ़ाती हैं। 
- फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करती हैं और शिव-गौरी की कथा सुनती हैं।

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ऐसे खोलें व्रत 
यह व्रत काफी हद तक करवाचौथ की तरह होता है। इसमें पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है। कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है। 

Created On :   6 Aug 2020 3:57 AM GMT

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