देशभर में आज मनाया जा रहा है महाशिवरात्रि का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Mahashivratri 2023: Know Muhurta, worship method and importance
देशभर में आज मनाया जा रहा है महाशिवरात्रि का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
महाशिवरात्रि 2023 देशभर में आज मनाया जा रहा है महाशिवरात्रि का पर्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह देवों के देव महादेव की कृपा प्राप्त करने का महापर्व है। माना जाता है कि, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। वास्तव में महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। 

महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा करने से शुभफल प्राप्त होता है। इस​ दिन लोग व्रत भी रखतें हैं। लेकिन इस बार शिवभक्तों में तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, कई लोग 18 तो कई 19 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस महापर्व की तिथि, मुहूर्त और पूजा की विधि...
 
कब मनाएं महाशिवरात्रि
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, चतुर्दशी तिथि शनिवार, 18 फरवरी को रात 8 बजकर 03 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन रविवार, 19 फरवरी को शाम 04 बजकर 19 मिनट पर होगा। चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए यह त्योहार 18 फरवरी को माना जाएगा। 

पूजा का ​मुहूर्त
प्रथम पहर पूजा: 18 फरवरी, शनिवार शाम 06:41 बजे से रात 09:47 बजे तक
द्वितीय पहर पूजा: 18 फरवरी, शनिवार रात 09:47 बजे से रात 12:53 बजे तक
तृतीय पहर पूजा: 19 फरवरी, रविवार रात 12:53 बजे से 03:58 बजे तक
चतुर्थ पहर पूजा: 19 फरवरी, रविवार तड़के 03:58 बजे से सुबह 07:06 बजे तक
व्रत पारण: 19 फरवरी, रविवार सुबह 06:11 बजे से दोपहर 02:41 बजे तक

शिव पूजा का महत्व

भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं।

पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था। मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। 

पूजा विधि

शिवपुराण के अनुसार व्रती को प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो, मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्ष माला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं नमस्कार करना चाहिए। इसके बाद उसे व्रत का संकल्प करना चाहिए।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   16 Feb 2023 11:58 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story