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दैनिक भास्कर हिंदी: मणिकर्णिका स्नान, यहां शव से पूछते हैं क्या उसने शिव के कान का कुंडल देखा

डिजिटल डेस्क, वाराणासी। मणिकर्णिका घाट, यहां स्नान करने का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। काशी में यह सबसे प्रसिद्ध और पुरातन श्मशान घाट है। कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चैदस, वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन यहां स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस वर्ष मणिकर्णिका स्नान का मुहूर्त 3 नवंबर 2017 को बताया गया है। यह श्मशान अतिप्राचीन बताया जाता है। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव अपने औघढ़ स्वरूप में सैदव ही निवास करते हैं। इस श्मशाम में चिता की आग कभी ठंडी नही होती। यहां अंतिम क्रिया के बाद मृतक को सीधा मोक्ष प्राप्त होता है। यहां शिव और मां दुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर है। जिसे मगध शासकों ने बनवाया था। यहां अंतिम क्रिया की परंपरा करीब 3 हजार साल पुरानी बताई जाती है।
यहीं गिरा था माता सती का कुंडल
एक पौराणिक कथा के अनुसार माता सती के स्वयं को अग्नि को समर्पित करने के बाद शिव उनका शरीर लिए हजारों साल तक भटकते रहे। तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को सुदर्शन से खंड-खंड कर दिया। जिसके बाद 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। वाराणासी के इस घाट पर माता सती के कान का कुंडल गिरा था। इसी वजह से इसे मणिकर्णिका कहा जाता है।
योगनिद्रा से जागकर किया था शिव ने स्नान
इसके अतिरिक्त यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव सती के जाने के बाद लाखों वर्षों तक योगनिद्रा में बैठे रहे। तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से एक कुंड बनाया जहां योगनिद्रा से उठने के बाद शिव ने स्नान किया। उसी कुंड में भगवान शिव का कुंडल खो गया जो आज तक नहीं मिला। तभी से इसे मणिकर्णिका घाट कहा जाता है और कार्तिक मास की चैदस को यहां स्नान पुण्यकारी माना गया है। ऐसा भी कहा जाता है कि जब भी यहां जिसका दाह संस्कार किया जाता है अग्निदाह से पूर्व उससे पूछा जाता है, क्या उसने भगवान शिव के कान का कुंडल देखा।
कब होता है स्नान
मणिकर्णिका घाट का स्नान स्वयं भगवान विष्णु ने किया था। यहां वैकुण्ठ चैदस की रात्रि के तीसरे प्रहर पर श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। कार्तिक माह में यहां हजारों की संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं।
आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।
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