पं. गिरधारीलाल पालीवाल के अनुसार इस साल रक्षाबंधन पर गुरु की पंचम दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी। ये स्थिति राजयोग का फल देने वाली रहेगी। इन दोनों ग्रहों के कारण ये पर्व और खास हो जाएगा। इसके अलावा सूर्य-चंद्रमा की प्रतियुति होना भी शुभ माना गया है। राजयोग में राखी बांधने से जहां बहनों का सौभाग्य बढ़ता है और भाइयों को तरक्की मिलती है, परिवार में शांति और समृद्धि बढ़ती है।
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रक्षाबंधन पर नहीं होगा भद्रा का साया, चार साल बाद बना संयोग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हर साल रक्षाबंधन पर भद्रा नक्षत्र का साया बना रहता है। इस बार चार साल बाद ऐसा खास संयोग बन रहा है जिससे भद्रा का साया रक्षाबंधन के दिन नहीं रहेगा। इसके अलावा इस दिन राजयोग भी बन रहा है। खास बात यह है कि इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र भी है। इस बार श्रावण पूर्णिमा ग्रहण से मुक्त रहेगी, इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार सौभाग्यशाली रहेगा।


रक्षाबंधन का एक आवश्यक नियम है कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती है, लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। सूर्योदय से पूर्व ही भद्रा समाप्त हो जाने से बहनें दिनभर भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी, लेकिन शाम 4:30 से 6 बजे तक राहुकाल होने के कारण इस अवधि में राखी नहीं बांधी जा सकेगी। इस प्रकार राखी बांधने का समय करीब 10:23 घंटे का रहेगा। धनिष्ठा नक्षत्र दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा सुबह 6:07 से शाम 5:26 बजे तक होने से यह त्योहार पूरे दिन मनाया जाएगा।

धनिष्ठा से रेवती तक पांच नक्षत्रों को पंचक कहा जाता है, जो कि पांच दिनों तक चलता है। पंचक को लेकर लोगों में यह भ्रांति है कि इसमें कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि इसमें शुभ कार्य कर सकते हैं, क्योंकि उनकी पांच बार पुनरावृत्ति होती है।

हिंदू पंचांग के 5 प्रमुख अंग होते हैं- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न। इनमें 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। भद्रा या विष्टि करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या उनका नाश करने वाली मानी गई है। जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टि करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस समय सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।

सुबह 07:30 बजे से 9 बजे तक- चर
सुबह 09 बजे से 10:30 बजे तक- लाभ
सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक- अमृत
सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक- अभिजीत मुहूर्त
दोपहर 01:30 बजे से 3 बजे तक- शुभ
शाम 06:46 बजे से रात 11 बजे तक
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।