राॅयल लुक में दिखे महाकाल, क्यों निकाली जाती है शाही सवारी ?

Shahi Sawari : The royal look of Mahakal Baba
राॅयल लुक में दिखे महाकाल, क्यों निकाली जाती है शाही सवारी ?
राॅयल लुक में दिखे महाकाल, क्यों निकाली जाती है शाही सवारी ?

डिजिटल डेस्क, उज्जैन। श्रावण-भादौ मास में भगवान महाकाल की शाही सवारी निकाली गई। शाम को शाही ठाठ-बाट के साथ राजाधिराज की पालकी नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई। सोमवार को ये दृश्य बेहद अद्भुत व रोचक रहा। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिव तांडव, नंदी पर उमा महेश, रथ पर होल्करए घटाटोप और सप्तधान स्वरूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। परंपरागत मार्ग से होते हुए सवारी रामघाट पहुंची। इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शनों के लिए उमड़े। सड़कों पर भारी जनसैलाब देखने मिला। यह भादौ मास की पहली सवारी थी। 

पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान का अभिषेक कर पूजन किया। इसके पश्चात सवारी पुनरू मंदिर की ओर रवाना हो गई। इस बार शाही सवारी पर सोमवती अमावस्या का संयोग बन गया। जो और भी अधिक महत्व का बताया गया है। 

पुलिस प्रशासन ने भी इस दौरान चाक-चैबंद व्यवस्था कर रखी थी। नजारा बेहद अद्भुत था। शाही सवारी में आला अफसर भी शामिल रहे।

क्या है मान्यता

मान्यता है कि बाबा महाकाल भक्तों का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं। क्योंकि महाकाल को उज्जैन का राजा माना जाता है। सवारी से पहले पुजारी मुघौट महाकाल के सामने रख उसमें विराजित होने का आव्हान करते है। इसके बाद सवारी निकाली जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि हर रूप में भक्त भगवान के दर्शन कर सकें। 

पालकी में बाबा की सवारी अनादिकाल की मानी गई है। शाही सवारी के इस अवसर पर बाबा के राजकीय ठाठ-बाट देखते ही बनते हैं। 

Created On :   22 Aug 2017 3:25 AM GMT

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