व्रतः आज है षटतिला एकादशी, जानिए क्या है व्रत का महत्व और पूजन विधि

व्रतः आज है षटतिला एकादशी,  जानिए क्या है व्रत का महत्व और पूजन विधि
व्रतः आज है षटतिला एकादशी, जानिए क्या है व्रत का महत्व और पूजन विधि
व्रतः आज है षटतिला एकादशी, जानिए क्या है व्रत का महत्व और पूजन विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यधिक महत्व है। इनमें से माघ मास में आने वाली एकादशी का अपना विशेष महत्व है, जिसे षटतिला के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी कृष्ण पक्ष में आती है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह एकादशी 07 फरवरी, रविवार को है। यह दिन भगवान विष्णु का समर्पित माना गया है। यानी कि श्री हरि की पूजा करने से उनका आर्शीवाद लेने से आपके समस्त कष्टों का निवारण इस तिथि पर होगा। 

मान्यता के अनुसारए षटतिला एकादशी के दिन काली गाय और तिल के दान किया जाना चाहिए। इस दिन साधक को प्रात:काल स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु को तिल और उड़द मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए। आइए जानते हैं षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...

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शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभः 7 फरवरी 2021 सुबह 06 बजकर 26 मिनट से
तिथि समाप्तः 8 फरवरी 2021 सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक

पूजा विधि
किसी भी व्रत उपवास या दान तर्पण आदि को करने से पहले मन का शुद्ध होना आवश्यक होता है। इसके साथण्साथ षटतिला एकादशी का व्रत अन्य एकादशी के उपवास से कुछ अलग प्रकार से रखा जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की दशमी को भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए गोबर में तिल मिलाकर 108 उपले बनाए जाते हैं। फिर दशमी के दिन एक समय भोजन किया जाता है और प्रभु का स्मरण किया जाता है।

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इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान श्री कृष्ण के नाम का उच्चारण करते हुए कुम्हड़ा, नारियल अथवा बिजौर के फल से विधिवत पूजा कर अर्घ्य दी जाती है। रात्रि में भगवान का भजन कीर्तन करें और 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र से उपलों में हवन करें। स्नान, दान से लेकर आहार तक में तिलों का उपयोग करें।

दान का महत्व
इस तिथि पर स्नान, दान, तर्पण, आहार आदि में तिलों का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि तिलों का छह प्रकार से उपयोग इस दिन किया जाता है जिसमें तिल से स्नान, तिल का उबटन, तिलोदक, तिल का हवन, तिल से बने व्यंजनों का भोजन और तिल का ही दान किया जाता है। तिल के छह प्रकार से इस्तेमाल करने के कारण ही इसे षटतिला कहा जाता है।
 

Created On :   5 Feb 2021 11:51 AM GMT

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