आज है वासुदेव द्वादशी व्रत, जानिए कैसे होगी इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति

Vasudev Dwadhashi fast on Shukla Paksha, know its significant
आज है वासुदेव द्वादशी व्रत, जानिए कैसे होगी इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति
आज है वासुदेव द्वादशी व्रत, जानिए कैसे होगी इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति

 

डिजिटल डेस्क । आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वासुदेव द्वादशी व्रत होता है, इस बार यह  24 जुलाई 2018 को है| वासुदेव द्वादशी भगवान कृष्ण् को सर्मिपत है। यह देवशयनी एकादशी के एक दिन बाद मनाई जाती है। यह आषाढ़ के महीने में और चातुर्मास के आरंभ में मनाई जाती है। इस दिन श्री कृष्ण  के साथ भगवान विष्णु  और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और अश्विन मास में जो भी यह पूजा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति  होती है। 

 

ये व्रत आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर करना चाहिए। इसमें देवता वासुदेव की पूजा, और वासुदेव के विभिन्न नामों एवं उनके व्यूहों के साथ चरण से सिर तक के सभी अंगों की पूजा होती है। पहली बार ये व्रत वासुदेव और माता देवकी ने किया था। वासुदेव यदुवंशी शूर तथा मारिषा के पुत्र, कृष्ण के पिता, कुंती के भाई और मथुरा के राजा उग्रसेन के मंत्री थे। इनका विवाह देवकी अथवा आहुक की सात कन्याओं से हुआ था जिनमें देवकी सर्वप्रमुख थी। वासुदेव के नाम पर ही कृष्ण को "वासुदेव" (अर्थात् "वसुदेव के पुत्र") कहते हैं। वसुदेव के जन्म के समय देवताओं ने आनक और दुंदुभि बजाई थी जिससे इनका एक नाम "आनकदुंदुभि" भी पड़ा। 

 

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एक कथा है कि ....

चुनार देश का प्राचीन नाम करुपदेश था। वहां के राजा का नाम पौंड्रक था। कुछ लोग मानते हैं कि पुंड्र देश का राजा होने से इसे पौंड्रक भी कहते थे। कुछ लोग मानते हैं कि वह काशी नरेश ही था। चेदि देश में यह ‘पुरुषोत्तम’ नाम से सुविख्यात था। इसके पिता का नाम वसुदेव था। इसलिए वह खुद को वासुदेव कहता था। यह द्रौपदी स्वयंवर में उपस्थित था। कौशिकी नदी के तट पर किरात, वंग एवं पुंड्र देशों पर इसका स्वामित्व था। यह मूर्ख एवं अविचारी था।

 

पौंड्रक को उसके मूर्ख और चापलूस मित्रों ने यह बताया कि असल में वही परमात्मा वासुदेव और वही विष्णु का अवतार है, मथुरा का राजा कृष्ण नहीं। कृष्ण तो ग्वाला है। पुराणों में उसके नकली कृष्ण का रूप धारण करने की कथा आती है।

 

राजा पौंड्रक नकली चक्र, शंख, तलवार, मोर मुकुट, कौस्तुभ मणि, पीले वस्त्र पहनकर खुद को कृष्ण कहता था। एक दिन उसने भगवान कृष्ण को यह संदेश भी भेजा था कि ‘पृथ्वी के समस्त लोगों पर अनुग्रह कर उनका उद्धार करने के लिए मैंने वासुदेव नाम से अवतार लिया है। भगवान वासुदेव का नाम एवं वेषधारण करने का अधिकार केवल मेरा है। इन चिह्रों पर तेरा कोई भी अधिकार नहीं है। तुम इन चिह्रों एवं नाम को तुरंत ही छोड़ दो, वरना युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।’

 

बहुत समय तक श्रीकृष्ण ने उसकी बातों पर ध्यान नही दिया, बाद में जब उसकी बातें असहनिय हो गई । तब उन्होंने उसे प्रत्युत्तर भेजा, ‘तेरा संपूर्ण विनाश करके, मैं तेरे सारे गर्व का परिहार शीघ्र ही करूंगा।" 

 

यह सुनकर राजा पौंड्रक श्री कृष्ण के विरुद्ध युद्ध की तैयारी शुरू करने लगा। वह अपने मित्र काशीराज की सहायता प्राप्त करने के लिए काशीनगर गया। यह सुनते ही कृष्ण ने ससैन्य काशीदेश पर आक्रमण किया।

 

कृष्ण आक्रमण कर रहे हैं- यह देखकर पौंड्रक और काशीराज अपनी-अपनी सेना लेकर नगर की सीमा पर आए। युद्ध के समय पौंड्रक ने शंख, चक्र, गदा, धनुष, वनमाला, रेशमी पीतांबर, उत्तरीय वस्त्र, मूल्यवान आभूषण आदि धारण किया था एवं वह गरूड़ पर आरूढ़ था।

 

नाटकीय ढंग से युद्धभूमि में प्रविष्ट हुए इस ‘नकली कृष्ण’ को देखकर भगवान कृष्ण को अत्यंत हंसी आई। इसके बाद युद्ध हुआ और पौंड्रक का वध कर श्रीकृष्ण पुन: द्वारिका चले गए।

 

बाद में बदले की भावना से पौंड्रक के पुत्र सुदक्षण ने कृष्ण का वध करने के लिए मारण-पुरश्चरण यज्ञ किया, लेकिन द्वारिका की ओर गई वह आग की लपट रूप कृत्या ही पुन: काशी में आकर सुदक्षणा की मृत्यु का कारण बन गई। उसने काशी नरेश पुत्र सुदक्षण को ही भस्म कर दिया।

 

व्रत पूजन विधि इस प्रकार है-

 

सबसे पहले जलपात्र में रखकर तथा दो वस्त्रों से ढककर वासुदेव की स्वर्णिम प्रतिमा का पूजन तथा उसका दान करना चाहिए। यह व्रत नारद द्वारा वसुदेव एवं देवकी को बताया गया था। इसके करने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। 

 

उसे पुत्र की प्राप्ति होती है या नष्ट हुआ राज्य पुन: मिल जाता है। सुबह सबसे पहले स्नान के बाद श्वक्ष वस्त्र धारण करने चाहिए।

 

इस दिन आप को पूरे दिन व्रत रहना होगा। भगवान को आप हाथ के पंखे, लैंप के साथ फल फूल चढ़ाने चाहिए। भगवान विष्णु की पंचामृत से पूजा करनी चाहिए। उन्हें भोग लगाना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्त्र नाम का जाप करने से आप की हर समस्या  का समाधान होगा। 

 

Created On :   10 July 2018 5:14 AM GMT

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