विश्वकर्मा जयंती 2021: जानें पूजा की विधि और इस दिन महत्व

Vishwakarma Jayanti 2021: know method of worship, chant these mantras
विश्वकर्मा जयंती 2021: जानें पूजा की विधि और इस दिन महत्व
विश्वकर्मा जयंती 2021: जानें पूजा की विधि और इस दिन महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विश्वकर्मा को पृथ्वी का प्रथम इंजीनियर या वास्तुकार माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को “देवताओं का शिल्पकार” माना गया है। हर साल ये जयंती कन्या संक्रांति के दिन के मनाई जाती है। जो कि इस वर्ष 25 फरवरी यानी कि आज मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि होती है।

इस दिन हिंदू धर्म के लोग अपने कार्य स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन कारखानों, उद्योगों, फेक्ट्रियों, हर प्रकार की मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है। इनकी पूजा सभी कलाकार, बुनकर, शिल्पकार, औद्योगिक घरानों और फैक्ट्री के मालिकों द्वारा की जाती है।

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इन चीजों का किया था निर्माण
पुराणों के अनुसार, प्राचीन काल में जितनी भी राजधानियां थी, प्राय: सभी को विश्वकर्मा जी ने बनाया है। सतयुग का "स्वर्ग लोक", त्रेता युग की "लंका", द्वापर की "द्वारिका’ हस्तिनापुर" और इन्द्रप्रस्थ आदि सभी विश्वकर्मा जी द्वारा ही रचित हैं। "सुदामापुरी" की रचना के विषय में भी यह कहा जाता है कि उसके निर्माता विश्वकर्मा जी ही थे। जगन्नाथ पूरी में “जगन्नाथ” मंदिर का निर्माण, पुष्पक विमान का निर्माण, सभी देवताओं के महलों का निर्माण, कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शंकर का त्रिशूल आदि का भी निर्माण विश्वकर्मा के द्वारा ही किया हुआ माना जाता है।

भगवान विश्वकर्मा पूजा विधि 
- विश्वकर्मा जयंती के दिन प्रातः काल स्नान आदि करने के बाद पत्नी सहित पूजा स्थान पर बैठें। 
- इसके बाद विष्णु भगवान का ध्यान करते हुए हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर- 
ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम: और ॐ पृथिव्यै नम: 
कहते हुए चारों दिशाओं में अक्षत छिड़कें और पीली सरसों लेकर चारों दिशाओं को बांधे। 
- अपने हाथ में रक्षासूत्र बांधे तथा पत्नी को भी रक्षासूत्र बांधे। 

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- पुष्प जल पात्र में छोड़ें। हृदय में भगवान श्री विश्वकर्मा जी का ध्यान करें। 
- रक्षा दीप जलाएं, जल के साथ पुष्प एवं सुपारी लेकर संकल्प करें। 
- शुद्ध भूमि पर अष्टदल (आठ पंखुड़ियों वाला) कमल बनाएं। उस स्थान पर सात अनाज रखें। उस पर मिट्टी और तांबे का जल डालें। 
- इसके बाद पंचपल्लव (पाँच वृक्षों के पत्ते), सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, दक्षिणा कलश में डालकर कपड़े से कलश को ढ़क दें।
- एक अक्षत (चावल) से भरा पात्र समर्पित कर ऊपर विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें फिर वरुण देव का आह्वान करें।

इन मंत्रों का करें जाप
ॐ आधार शक्तपे नमः
ॐ कूमयि नमः
ॐ अनंतम नमः
ॐ पृथिव्यै नमः


 

Created On :   25 Feb 2021 3:36 AM GMT

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