प्रदोष व्रत: गुरु प्रदोष पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगा भोले का आशीर्वाद

प्रदोष व्रत: गुरु प्रदोष पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगा भोले का आशीर्वाद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि देवों के देक महादेव को स​मर्पित है। जून की शुरुआत ही इस व्रत के साथ हो रही है, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष यानी कि आज 01 जून गुरुवार को गुरु प्रदोष है। बता दें कि, यह व्रत दिन के हिसाब से अलग- अलग नामों से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से भक्तों के अन्दर सकारात्मक विचार आते हैं और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, यदि आपका दांपत्य जीवन सुखमय नहीं है और किसी ना किसी तरह की परेशानी बनी रहती है तो आपको यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव के साथ-साथ गुरु देव बृहस्पति का आशीर्वाद भी मिलता है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व, पूजा विधि और उपाय...

शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 1 जून गुरुवार दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से

त्रयोदशी तिथि का समापन: 2 जून शुक्रवार दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक

प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त: 1 जून को शाम 07 बजकर 14 मिनट से रात 09 बजकर 16 मिनट तक

प्रदोष व्रत की विधि

- प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबद सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।

- नित्यकर्मों से निवृ्त होकर भोले नाथ का स्मरण करें।

- व्रत में आहार नहीं लिया जाता है।

- पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।

- पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।

- इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाएं।

- उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें।

- पूजन में भगवान शिव के मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   1 Jun 2023 12:22 PM GMT

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