बॉलीवुड के कई गानों को कोरियोग्राफ करने वाले बिरजू महाराज को पसंद था इस अभिनेत्री का डांस
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कथक के दिग्गज बिरजू महाराज का दिल का दौड़ा पड़ने से निधन हो गया है। उन्होंने 83 वर्ष की उम्र सबको अलविदा कह दिया। उन्हें किडनी से जुड़ी समस्या की वजह से कुछ समय पहले डायलिसिस पर रखा गया था। बता दें कि, जब उनकी तबीयत बिगड़ी तब वह अपने पोते के साथ घर पर खेल रहे थे। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें दिल का दौड़ा परने से मृत घोषित कर दिया।
बिरजू महाराज को दिए गए थे यह सम्मान
बिरजू महाराज को उनकी कला के क्षेत्र में कई नामी सम्मान दिए गए थे, भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से उन्हें नवाजा गया था। वह एक महान कथक गुरु साथ हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक और तालवादक भी थे। उन्हें उनके नृत्य के लिए काफी याद किया जाता है, वहीं सत्यजीत रे के नाटक शतरंज के खिलाड़ी में उन्होंने अपनी आवाज से सबका मन मोह लिया था, इसमें दो नृत्य के लिए और 2002 में आई देवदास के काहे छेड़ मोहे ट्रैक के लिए हमेशा सराहा जाता है।
इस फिल्म से मिला था राष्ट्रीय पुरस्कार
कमल हासन की बहुभाषी फिल्म विश्वरूपम में बिरजू महाराज ने कानाधू नान को कोरियोग्राफ किया था जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, इसके बाद बाजीराव मस्तानी के सॉन्ग ‘मोहे रंग दो लाल’ के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार नवाजा गया था।
किसे मानते थे बॉलीवुड में सबसे खूबसूरत डांसर
बिरजू महाराज से जब एक बार पूछा गया की बॉलीवुड में उन्हें सबसे अच्छी डांसर कौन लगती हैं, तो उन्होंने एक मीडिया को बता कि, वैसे बॉलीवुड में कई शानदार डांसर हैं। मेरी पसंदीदा माधुरी दीक्षित रही हैं, जिनके साथ मैंने देवदास और डेढ़ इश्किया में काम किया है। वह एक प्रशिक्षित कथक नृत्यांगना हैं और उनमें नेचुरल टैलेंट है।
लोगों ने जताया जाने का गम
बिरजू महराज के जाने के बाद सबसे पहले अदनान सामी ने एक ट्वीट में कहा, ‘महान कथक नर्तक-पंडित बिरजू महाराज जी के निधन की खबर से अत्यंत दुखी हूं। हमने प्रदर्शन कला के क्षेत्र में एक अद्वितीय संस्थान खो दिया है। उन्होंने अपनी प्रतिभा से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है। उनको शांति मिले।‘
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ‘पंडित बिरजू जी महाराज भारत की कला और संस्कृति के प्रवर्तक थे। उन्होंने कथक नृत्य के लखनऊ घराने को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया। उनके निधन से गहरा दुख हुआ है। उनका निधन कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।’
यहां से थे बिरजू महराज
बिरजू महाराज लखनऊ घराने के जगन्नाथ महाराज के बेटे थे, उनके पिता को अच्चन महाराज के नाम से जाना जाता था, जब बिरजू महराज नौ वर्ष थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उनके दो चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज भी काफी प्रसिद्ध थे। बिरजू महाराज ने अपनी पढ़ाई श्रीराम भारतीय कला केंद्र और संगीत नाटक अकादमी कथक केंद्र, दिल्ली से की थी, वहां से ही 1998 में उन्होंने निदेशक के तौर पर रिटार्यमेंट लिया।
Created On :   17 Jan 2022 11:02 AM IST