फैक्ट चेक: जी-20 शिखर सम्मेलन में बजट से ज्यादा धनराशि हुई खर्च, जानिए क्या है सच्चाई?

जी-20 शिखर सम्मेलन में बजट से ज्यादा धनराशि हुई खर्च, जानिए क्या है सच्चाई?
जी-20 शिखर सम्मेलन में बजट में दी गई धनराशि से ज्यादा हुआ खर्च

जिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की राजधानी दिल्ली में इस साल सितंबर महीने के दौरान जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। भारत की अध्यक्षता में हुए इस शिखर सम्मेलन के दौरान कई ऐतहासिक निर्णय लिए गए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सम्मेलन के आयोजन में करोड़ो रुपए खर्च किए गए थे। जिसको लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर खूब निशाना साधा था।

इस मुद्दे को एक बार फिर तृणमूल नेता साकेत गोखले ने तूल दे दी है। देश में चुनावी माहौल भी बना हुआ है जिसके चलते एक बार फिर जी-20 पर किए गए खर्च का मुद्दा गरम होता नजर आ रहा है। तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता साकेत गोखले ने एक पोस्ट सोशल मीडिया अकांउट पर साझा किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया हैं कि केन्द्र सरकार ने 300% से ज्यादा धनराशि जी-20 समिट में खर्च किया है।

दावा

हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने एक्स पर अपने पोस्ट में दावा किया है कि मोदी सरकार ने G-20 पर बजट में आवंटित धनराशि से 300% अधिक खर्च किया। इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया हैं कि पिछले केंद्रीय बजट में G20 शिखर सम्मेलन के लिए कितना आवंटन किया गया था? जिसके जवाब में उन्होंने लिखा 990 करोड़। साथ ही, उन्होंने अगला सवाल करते हुए लिखा मोदी सरकार ने वास्तव में कितना खर्च किया? जिसके जवाब में उन्होंने लिखा 4100 करोड़। यह बजट से 300% (या 3110 करोड़) अधिक है। वहीं तृणमूल नेता ने सरकार से अखिरी सवाल किया कि ये पैसा कहां गया? भाजपा को इस अतिरिक्त 3110 करोड़ का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से 2024 के चुनावों के लिए मोदी के स्वयं-विज्ञापन और व्यक्तिगत पीआर के लिए गैर-जरूरी खर्च था?

पड़ताल

इस वायरल पोस्ट में किए गए दावे का फैक्ट चेक पीआईबी की टीम ने किया है। पीआईबी ने अपने ऑफिशियल अकांउट एक्स पर पोस्ट शेयर किया है। जिसमें उन्होंने ट्वीट कर लिखा वायरल हो रहे इस पोस्ट में G-20 को लेकर अधिक खर्च करने का दावा गुमराह करने वाला है। इस खर्च को मुख्य रूप से आईटीपीओ द्वारा स्थाई संपत्ति निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए है जो केवल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी तक सीमित नहीं है। इसके अलावा पीआईबी ने अपनी पड़ताल में वायरल हो रहे ट्वीट के दावे को भ्रामक बताया है।

Created On :   27 Oct 2023 12:50 PM GMT

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