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कुछ घंटे गायब रहने के बाद गूगल प्ले स्टोर पर वापस आया पेटीएम

हाईलाइट
- कुछ घंटे गायब रहने के बाद गूगल प्ले स्टोर पर वापस आया पेटीएम
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (आईएएनएस)। गूगल प्ले स्टोर से कुछ घंटों के लिए गायब रहने के बाद पेटीएम एक बार फिर प्लेटफॉर्म पर वापस आ चुका है। मोबाइल वॉलेट ऐप्लीकेशन पेटीएम को शुक्रवार को नीतिगत उल्लंघनों के कारण गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया था।
दरअसल शुक्रवार को दिन में खबर आई थी कि गूगल ने सट्टेबाजी के कारण पेटीएम ऐप को अपने प्ले स्टोर से हटाने का फैसला किया है।
गूगल प्ले स्टोर का कहना था कि वो गैंबलिंग (जुआ) ऐप का समर्थन नहीं करता है और जुए से जुड़ी उसकी नीतियों का उल्लंघन करने के कारण पेटीएम को हटाया गया है। कुछ घंटे पहले ही पेटीएम ने यूजर्स को आश्वस्त करते हुए कहा था कि वो गूगल के साथ मिलकर इस समस्या पर काम कर रहा है और यूजर्स के पेटीएम वॉलेट में पड़े पैसे पूरी तरह सुरक्षित हैं।
नोएडा मुख्यालय वाला पेटीएम देश का सबसे बड़ा भुगतान ऐप है और इसकी गूगल पे के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा भी है।
पेटीएम ने हाल ही में यूजर्स को क्रिकेट के साथ जुड़कर कैशबैक प्राप्त करने के लिए पेटीएम क्रिकेट लीग लॉन्च की थी। यह गेम ग्राहकों को क्रिकेट के प्रति जुनून में इंगेज होने और कैशबैक जीतने के लिए था। इस गेम के तहत यूजर्स हर ट्रांजैक्शन के लिए खिलाड़ियों के स्टीकर्स प्राप्त करते हैं। इसे कलेक्ट करने के बाद उन्हें कैशबैक मिलता है।
पेटीएम ने कहा कि उन्हें शुक्रवार दोपहर को गूगल की तरफ से जानकारी दी गई कि गैंबलिंग संबंधी कुछ नियमों के उल्लंघन के आरोप में प्ले स्टोर से इस ऐप को हटाया जा रहा है। इस वजह से पेटीएम एंड्रॉएड ऐप को गूगल प्ले स्टोर से अनलिस्ट कर दिया गया था।
पेटीएम ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि वह गूगल प्ले स्टोर पर वापस आ गया है।
एकेके/जेएनएस
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।